बच्चे को गोरा बनाने के लिए काले पत्थर से रगड़ती थी मां. गोरेपन को लेकर इतने आसक्त क्यों हैं हम?

Sanchita Pathak

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हम भारतीय सफ़ेद रंग से बुरी तरह आसक्त हैं. Stereotype है, पर सच तो आप भी जानते होंगे. दूध से बच्चे से लेकर, गोरी-चिट्टी बहु की ख़्वाहिश रखते हैं ज़्यादातर भारतीय. ये भूलकर कि भारत की जलवायु और पर्यावरण के हिसाब से यहां के अधिकतर लोग गेहुंए रंग के ही होते हैं.

गोरेपन से आसक्त कुछ भारतीयों के लिए सांवलापन अभिशाप जैसा ही है. बाज़ार में बिकते सैंकड़ों गोरेपन के प्रसाधन इस बात का सबूत हैं.

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पर गोरेपन के लिए कोई किस हद तक जा सकता है? लेप, क्रीम, फ़ेस पैक… बस? जी ये सिलसिला यहीं नहीं थमता. गोरापन पाने के लिए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निशातपुरा में एक मां, 5 साल के बच्चे को पत्थर से रगड़ती थी.

Child Line संस्था और निशातपुरा पुलिस द्वारा बच्चे को बचाया गया. TOI की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने बच्चे को उत्तराखंड से गोद लिया था और अंधविश्वास के कारण बच्चे की त्वचा को काले पत्थर से रगड़ती थी.

महिला का नाम सुधा तिवारी है. सुधा की बड़ी बहन की बेटी, शोभना शर्मा ने Child Line को फ़ोन किया था. वो बच्चे का इस तरह शोषण बर्दाशत नहीं कर पा रही थी और बच्चे को बचाने के लिए ये कदम उठाया.

TOI की रिपोर्ट के अनुसार, शोभना TOI को बताया कि सुधा निशातपुरा के ही सरकारी स्कूल में शिक्षिका है. सुधा ने बच्चे को 1.5 साल पहले उत्तराखंड के मात्रूच्छाया से गोद लिया.

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शोभना ने बताया,

जिस दिन से बच्चे को भोपाल लाया गया, वो उसके रंग से नाख़ुश थी और उसे गोरा बनाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाती थी. एक साल पहले किसी ने उन्हें बताया कि काले पत्थर से बच्चे की त्वचा रगड़ने से उसका रंग बदलकर गोरा हो जाएगा. काले पत्थर से रगड़ने के कारण बच्चे की त्वचा पर जगह-जगह चोटें आई थी.

Child Line और निशातपुरा पुलिस द्वारा बचाये जाने के बाद बच्चे को इलाज के लिए हमीदिया अस्पताल भेज दिया गया. प्राथमिक इलाज के बाद बच्चे को Child Line के नज़दीकी सेंटर भेज दिया गया.

शोभना ने अपनी शिकायत में ये भी कहा कि नियमों के अनुसार, मात्रुच्छाया को बच्चे के बारे में जानकारी लेनी चाहिए थी पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.

TOI को Child Line के डायरेक्टर ने बताया,

बच्चे को जब बचाया गया तब उसकी हालत ठीक नहीं थी. पूरे शरीर पर ज़ख़्म थे. इलाज के बाद वो ख़तरे से बाहर है.
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मुझे कॉलेज में एक सहपाठी ने बताया था कि Pumice Stone से हाथ-पैर रगड़ने से बाल हट जाते हैं और Tanning भी हटती है. Stone शब्द सुनकर ही मेरा दिमाग़ घूम गया था. मुझे इस टिप की हक़ीक़त तो पता नहीं, पर Tanning हटाने के लिए ख़ुद को पत्थर से रगड़ना?

गोरेपन को लेकर भारतीय कितने आसक्त हैं, ये वो लड़कियां ज़्यादा बेहतर समझ सकती हैं, जिन्हें उनके डस्की या गेहुंए रंग के लिए लोगों की बातें सुनने पड़ी हों. रंग क्या है, सिर्फ़ आंखों का भेद? वरना काले बाल आंखों को लुभावने और काली त्वचा आंखों में क्यों खटकती है?

हम आपसे अपील करते हैं कि गोरेपन के लिए किसी भी हद तक जाने की बेवकूफ़ी न करें, क्योंकि ख़ूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है.

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