महाशक्ति बनने से पहले हमें नक्सलियों, माओवादियों, अलगाववादियों और आतंकियों को समझना होगा

Bikram Singh

1947 से पहले हिन्दुस्तान में सुई तक नहीं बनती थी, मगर आज हम विश्व की महाशक्ति बनने की राह पर हैं. आज़ाद हुए आज 69 साल हो गए, मगर देश में कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका हल अभी तक नहीं हो पाया है. सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है, मगर इसका असर अभी तक देखने को नहीं मिला है. 

यूं तो देश में ग़रीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और अशिक्षा जैसी अनगिनत समस्याओं की भरमार है. उम्मीद है कि इनका हल आर्थिक प्रयासों की मदद से हो जाए. मगर हम जिन समस्याओं की बात कर रहे हैं, वो बहुत ही गंभीर और भयावह हैं. अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले दिनों में कई मुश्किलातों का सामना करना पड़ सकता है.

आतंकवाद

वर्तमान में आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बना हुआ है. शायद ही विश्व का कोई देश होगा, जो आतंकवाद से अछूता होगा. भारत भी आतंकवादियों से काफ़ी परेशान है. दरअसल, इसके पीछे पड़ोसी देश पाकिस्तान है, जो भारत को अस्थिर करने के लिए आतंकी भेजता रहता है. कई बुद्धिजीवियों का मानना है कि आतंकवाद का ना कोई धर्म होता है, ना ही कोई जाति. वे अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए हर उम्र के लोगों को अपना निशाना बनाते हैं.

Lifes

नक्सलवादी

देश का 40 प्रतिशत हिस्सा नक्सलवादियों के कब्जे में है, जो देश के 10 राज्यों-उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ है. इन इलाकों का नाम ही ‘रेड कॉरिडोर’ पड़ गया है. दरअसल, अपनी विशेष मांगों के कारण ये देश में सक्रिय हैं. RAW के अनुसार, देश की आंतरिक सुरक्षा को सबसे ज़्यादा ख़तरा नक्सलवादियों से ही है.

पूर्वोत्तर राज्य: एक समस्या

उत्तर-पूर्वी राज्यों में छोटे-बड़े करीब 180 अतिवादी संगठन सक्रिय हैं. वे राज्य में कत्लेआम कर रहे हैं. इन संगठनों के कारण ही देश के आम नागरिकों का संपर्क पूर्वोत्तर राज्यों से पूरी तरह कटा हुआ है. कई संगठन एक अलग देश बनाने की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ संगठन ऐसे भी हैं, जो चीन में अपना विलय चाहते हैं.

The Unreal

पूर्वोत्तर के रहने से लाभ

पूर्वोत्तर में कई ऐसी जगहें हैं, जहां पर्यटन को बढ़ावा देकर देश की आर्थिक स्थिति को मज़बूत किया जा सकता है. सरकार इस पर विचार भी कर रही है, मगर शांति के बिना ये संभव नहीं है.

India Defence

अलगाववादी

अलगाववाद का मतलब देश को विखंडित कर एक नए राष्ट्र का निर्माण करना होता है. इन दिनों जम्मू-कश्मीर में ये साजिश हो रही है. अलगाववादी धर्म, भाषा और बोली के आधार पर अलग होने के दावे तय करते हैं. कुछ उदाहरणों की मदद से आप समझ सकते हैं.

पाकिस्तान- धर्म के आधार पर अलग होने वाला देश.

बांग्लादेश- भाषा के आधार पर अलग होने वाला देश.

खालिस्तान- सिखों के लिए अलग से राष्ट्र की कल्पना.

गोरखालैंड- पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्य के कुछ हिस्सों को मिला कर नेपाली भाषियों के लिए अलग देश.

माओवादी

माओवाद एक विचार है, जो चीन में सृजित हुआ था. नेपाल के रास्ते यह विचार बिहार में चला आया. दरअसल, मज़दूर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए माओवादी संगठन बना था. ये लोक अदालत के माध्यम से शोषित वर्ग के लोगों को न्याय दिलाते हैं. इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव बिहार, झारखंड में देखने को मिलता है.

India News

सरकार से अपनी विशेष मांग मनवाने के लिए लोगों को अपना निशाना बनाते हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार इसका हल नहीं चाहती है, इसके लिए वो प्रयास भी कर रही है, मगर अभी और बातचीत की ज़रुरत है. असंतुष्ट लोगों को संतुष्ट करने की ज़रूरत है.

Feature Image- The Hindu

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे