निलय अग्रवाल: झुग्गी के बच्चों को भी मिल सके भोजन और शिक्षा इसलिए जॉब के बाद शुरू किया ये मिशन

Kratika Nigam

Nilay Agarwal: समय नहीं है, समय नहीं है… अक्सर हम ऐसा कहते रहते हैं, लेकिन जिन्हें कुछ करना होता है तो वो उस कम समय में भी बहुत कुछ कर लेते हैं. बस कुछ करने के लिए लक्ष्य और प्रेरणा दोनों का होना ज़रूरी है. इसका जीता जागता उदाहरण हैं निलय अग्रवाल, जो ऑन्कोलॉजिस्ट (Ontologist) हैं. निलय अपनी 8 घंटे की नौकरी के अलावा भी समाज के लिए कुछ करना चाहते थे मगर पहले उन्होंने अपने करियर में सफलता पाई फिर एक NGO शुरू किया.

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हालांकि, एक घटना ने उन्हें NGO खोलने पर विवश कर दिया, जिसके बारे में निलय ने The Better India को बताया,

निलय अपने दोस्त विशालाक्षी की शादी की तैयारियों में बिज़ी थे और ख़ुश थे, लेकिन आकस्मात उसके निधन ने हम सबको हिला दिया. ख़ास तौर पर मुझे ये सिखाया कि जीवन बहुत छोटा है इसलिए जो करना है उसे कर लो. 2018 में मैंने अपने दोस्त को खोया और 2019 में लखनऊ में विशालाक्षी फ़ाउंडेशन (Vishalakshi Foundation) शुरू करने का फ़ैसला किया. इस फ़ाउंडेशन का उद्देश्य देश से भुखमरी और अशिक्षा को मिटाना है.

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इस फ़ाउंडेशन के ज़रिए वो Project Hunger और Dream School पर काम कर रहे हैं. निलय (Nilay Agarwal) ने रिसर्च में पाया कि,

भारत में रोज़ 7,000 लोग भूख से मरते हैं. इन 7,000 लोगों में से लगभग 3,000 बच्चे होते हैं. कोई भी इनके बारे में नहीं सोच रहा है जबकि कोई भी बच्चा खाली पेट सोने का हक़दार नहीं है, बल्कि उसे एक स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है. बस तभी से निलय भारत को भुखमरी मुक्त बनाने में लग पड़े.

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निलय ने जब ये मिशन शुरू किया था तब उन्होंने लखनऊ में क़रीब 100 लोगों को खाना खिलाया था. इसके बाद, सोशल मीडिया के ज़रिए क्राउडफ़ंडिंग से उन्हें क़रीब 1000 लोगों को खाना खिलाने का फ़ंड हासिल हुआ. इस पर निलय ने बताया कि,

पिछले दो सालों में, उनका फ़ाउंडेशन 11 शहरों दिल्ली, लखनऊ, गुरुग्राम, नोएडा, रांची, मुंबई, जयपुर, अमरोहा, फतेहपुर, बांदा, और प्रयागराज में 3,000 से ज़्यादा युवा वॉलेंटियर्स की मदद से 6 लाख से अधिक लोगों को खाना मुहैय्या करा चुका है. रोज़ क़रीब 500 लोगों को भोजन कराया जाता है.

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इतना ही नहीं, निलय ने अपने जन्मदिन पर 30 किमी तक पैदल चलकर दिल्ली की भीषण गर्मी में भूखों को खाना खिलाया. इसे Global Roti Day कहा गया. इसके बादा, दिल्ली के अलावा, ‘रांची’, ‘लखनऊ’, ‘वाराणसी’, ‘पुलवामा’ और ‘सिमडेगा’ में 1,500 से अधिक युवा निलय के साथ जुड़े और सबने मिलकर एक ही दिन में 10,000 से अधिक लोगों को खाना खिलाया.

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भूखे बच्चों को खाना बांटते समय निलय ने देखा कि इनके पास शिक्षा का भी कोई साधन नहीं है. ऐसे में उन्होंने जुलाई 2020 में, Project Dream School शुरू किया, जिसमें झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को फ़्री में शिक्षा, पढ़ाई की चीज़ें और मिड-डे मील दिया जाता है. निलय ने अपना पहला ड्रीम स्कूल गुरुग्राम की झुग्गियों में 6 कमरे में किराये पर लेकर खोला था.

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Yourstory के मुताबिक़,

इस ड्रीम स्कूल को बनाने में मेरी और बच्चों दोनों की मेहनत लगी है. हम दोनों ने मिलकर पहले झुग्गियों को साफ़ किया फिर मैंने स्लम को गोद लेने का फ़ैसला किया. 3 महीने में एक उचित स्कूल की स्थापना की गई, जिसमें 52 बच्चों को मुफ़्त में शिक्षा दी जाती है.

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निलय ने बस्तियों में 6 टिन शेड स्कूल भी बनाए हैं, जो शहरों में 1,000 से अधिक बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी निलय और उनकी टीम एक जगह से दूसरी जगह जाते लोगों के लिए मसीहा बनी. इन्होंने राशन सामग्री के 45,000 से अधिक पैकेट बांटें. अब तक 10 लाख से ज़्यादा लोगों को फ़्री में खाना बांट चुके हैं. निलय कहते हैं,

कभी मत सोचो कि तुम किसी से कम हो, क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो एक ऐसी चीज़ का सपना देखते हैं जो आपके पास पहले से है. इसलिए उठो, संकोच मत करो और चीज़ों को बेहतर बनाने में अपना योगदान दो.

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आपको बता दें, साल 2020 में, निलय को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा महामारी के दौरान समुदाय की मदद करने के इस नेक काम के लिए उन्हें मान्यता दी गई थी.

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