शहरों की गर्मी से बचने के लिए हर कोई शिमला, मसूरी, नैनीताल और मनाली जैसे हिल स्टेशन की ओर रुख करता है. हर साल लाखों पर्यटक इन हिल स्टेशन्स पर समर हॉलिडे का मज़ा लेने पहुंच जाते हैं लेकिन इस बार शिमला, नैनीताल और मनाली में पर्यटकों की भारी संख्या को देखते हुए प्रशासन ने नो एंट्री के बोर्ड लगा दिए हैं.
शिमला पहले से ही पानी की समस्या से जूझ रहा था, ऊपर से इस बार वहां भारी संख्या में पहुंचे पर्यटकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सभी होटल पहले ही ऑनलाइन बुक हो चुके हैं. इसलिए वहां पहुंच रहे पर्यटकों को होटल मिल नहीं पा रहे हैं. जिस कारण उन्हें खली हाथ लौटना पड़ रहा है. शिमला में पार्किंग की समस्या सबसे बड़ी समस्या है.
यही हाल नैनीताल का भी है. ईद की छुट्टी के बाद वहां के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. नैनीताल से 35 किमी पहले काठगोदाम से लेकर नैनीताल, भीमताल रोड़ पर हज़ारों पर्यटक ट्रैफ़िक में फंसे रहे. पर्सनल गाड़ियों को एंट्री नहीं दी जा रही रही है. नैनीताल भी शिमला की तरह ही पार्किंग की समस्या से जूझता नज़र आता है.
बीते गुरुवार को नैनीताल, भीमताल और उसके आस-पास के इलाकों में बारिश के चलते मौसम सुहावना होने से वहां पर्यटकों का आना जारी है. इसी को देखते हुए प्रशासन ने पर्यटकों को 35 किमी पहले काठगोदाम से आगे बढ़ने ही नहीं दिया. मजबूरन पर्यटकों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.
पर्यटकों की संख्या बढ़ने से इन दिनों पहाड़ों में पानी की समस्या भी सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. होटल मालिक पर्यटकों से मन माफ़िक पैसे वसूल रहे हैं. इस पर प्रशासन कुछ करने के मूड में नहीं है. शिमला, मसूरी, नैनीताल और मनाली, केदारनाथ, ऑली जैसे हिल स्टेशन पर जो होटल के एक रात के किराये में 400 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है.
जिन पर्यटकों को प्राइवेट गाड़ियों से शिमला, मसूरी, नैनीताल और मनाली जाने का मौका मिल रहा है, उन्हें भी भारी ट्रैफ़िक का सामना करना पड़ रहा है.