MP: कोरोना से गांव को बचाने के लिए लाठी लेकर घूमती हैं महिलाएं, अब तक एक भी संक्रमित नहीं

Abhay Sinha

भारत में हर रोज़ तीन लाख से ज़्यादा लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. वहीं, तीन हज़ार से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा रहे. हर राज्य पर इस वक़्त कोरोना वायरस (Corona Virus) को फैलने से रोकने का दबाव है. ऐसे वक़्त में मध्य प्रदेश का एक गांव पूरे देश के लिए मिसाल बन गया है, जहां एक भी कोरोना मरीज़ नहीं है.

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कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद एमपी के चिखलार गांव ने ख़ुद को वायरस के कहर से बचाए रखा है. दिलचस्प ये है कि इसका पूरी क्रेडिट इस गांव की महिलाओं को जाता है. दरअसल, गांव की महिलाओं ने बाहरी लोगों के प्रवेश को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है. इसके साथ ही, गांव के लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए पूरी तरह लॉकडाउन लगा दिया. बता दें, इसके पहले ये गांव अपनी कच्ची शराब के लिए फ़ेमस था. 

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लाठी से लैस रहती हैं महिलाएं

दिलचस्प ये है कि गांव में लोगों को प्रवेश करने से रोकने के लिए महिलाएं लाठी से लैस रहती हैं. महिलाओं ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले पोस्टर के बगल में बांस की बैरिकेड लगाकर गांव की सीमाओं को सील कर दिया. इतना ही नहीं, वे गांव के क़रीब से गुज़रने वाले स्टेट हाईवे पर भी आने-जाने वालों की निगरानी कर रही हैं.

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इसके साथ ही, दो लोगों को ज़िम्मेदारी दी गई है कि वो गांव वालों के सारे बाहरी काम करें. अग़र कोई बाहर व्यक्ति गांव में घुसने की कोशिश करता है, तो ये महिलाओं लाठी भांजने से भी नहीं चूकती. महिलाओं का कहना है कि भले ही उन्हें ये काम करने का अधिकार नहीं है, फिर भी गांव वालों की सुरक्षा के लिए उन्हें ये कड़ा फ़ैसला लेना पड़ा है. 

केरल का भी एक गांव बना उदाहरण

पथानामथिट्टा जिले का गवी गांव अपने समृद्ध वन्य जीवन और पर्यावरण-पर्यटन के लिए फ़ेमस है. लेकिन इस बार ये कोरोना संक्रमण से ख़ुद को सुरक्षित रख पाने के कारण सुर्खियां बटोर रहा है. 1,000 की आबादी वाले इस गांव में एक भी कोरोना मरीज़ नहीं है. बता दें, गांव में 163 आदिवासी और शेष श्रीलंकाई तमिल रहते हैं. 

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अधिकारियों ने बताया कि गांववाले सभी निर्देशों और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हैं. सभी मास्क पहनते हैं. सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करते हैं. साथ ही, न वो किसी दूसरे के घर जाते हैं और न ही भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक अधिकारी के मुताबिक, एक PHC मेडिकल टीम हर हफ़्ते Gavi का दौरा करती है और ग्रामीणों की जांच करती है. वर्तमान में यहां सभी ठीक हैं. 

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वहीं, एक स्थानीय युवक ने बताया कि हमारे पास टेलीविज़न नहीं है. गांव में नेटवर्क कवरेज नहीं है, इसलिए हम फ़ोन इस्तेमाल नहीं करते. हमें इस ख़तरनाक वायरस की जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों ने दी थी. उन्होंने जो निर्देश दिए थे, सभी गांव वाले उनका सख़्ती से पालन कर रहे हैं.

क्या है मध्य प्रदेश और केरल की वर्तमान स्थिति?

मध्य प्रदेश में अब तक 5.50 लाख के क़रीब लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं. जबकि पांच हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. वहीं, केरल में इस व़क्त कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 15 लाख से ऊपर जा चुका है. यहां भी पांच हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है. फ़िलहाल दोनों ही जगह हर रोज़ कोरोना मरीज़ों का आंकड़ा बढ़ रहा है. ऐसे में ये दोनों गांव अपने राज्यों के साथ-साथ पूरे देश के लिए भी एक मिसाल बन सकते हैं.

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