अब गाय-भैंस का भी आधार कार्ड बन रहा है, उनकी भी होगी Unique Identity

Pratyush

पशु उत्पाद भारत की GDP में एक मुख्य भूमिका निभाते हैं. डेरी प्रोडक्ट्स बनाने में दुनिया में दूसरे स्थान पर भारत आता है. ऐसे में विकास की बात पर गाय और भैंसों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. भारत के दूध उत्पादन और डेरी प्रोडक्शन को बेहतर और मुनाफ़ेदार बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है.

देश की 8.8 करोड़ गाय भैंसों की आधार आईडी बनना शुरू हो चुकी है. इस अभियान में देश के सभी गाय भैंसों के कान में एक खास तरह का Polyurethane Tag फिट किया जा रहा है. हर टैग के साथ 12 अंक का Unique Identification Number मिलेगा.

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इसके लिए लोगों को अपनी गाय-भैंसों को लेकर किसी सरकारी आॅफिस नहीं जाना, न ही कहीं लाइन में लगना है. इसके लिए टीम करीब 50,000 Tablets के साथ तैयार हो चुकी है. इस टीम को इन जानवरों के कानों में Tag फिट करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इसके तुरंत बाद ये Unique Id नंबर टैबलेट से आॅनलाइन डाटा बेस में Update कर देते हैं.

प्रधानमंत्री ने इस अभियान की शुरुआत की है, ताकि इन जानवरों पर नज़र रखी जा सके, साथ ही वक्त-वक्त पर उनका वैक्सिनेशन होता रहे. इसके अलावा बेहतर उत्पादन और ब्रीडिंग के लिए नए वैज्ञानिकी तरीके भी अपनाए जाएंगे. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि साल 2022 तक डेरी प्रोडक्ट्स और कमाई दोगुनी हो जाएगी.

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एक विशेषज्ञ ने बताया कि ये काफ़ी पेचीदा काम है. ये टैग Thermoplastic Polyurethane Elastomer के बने हैं और करीब 8 ग्राम वजनी हैं. इनका आकार और मैटीरियल ऐसा है कि जानवरों को ज़्यादा तकलीफ़ न हो.

इस टैग को लगाते ही मवेशी के मालिक को ‘Animal Health Card’ मिलेगा जिसमें UID नंबर, मालिक की जानकारी, ब्रीडिंग और वैक्सिनेशन की डीटेल्स होंगी. ये मवेशी को पहचानने और ट्रैक करने में मदद करेंगे.

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केंद्र ने इस अभियान के लिए 148 करोड़ रुपये का बजट निकाला है, जिसमें टैग, टैग एप्लिकेटर, Tablets और हेल्थ कार्ड शामिल हैं. इस अभियान के लिए सभी राज्यों को टारगेट मिल चुके हैं. हर राज्य को 2017 के अंत तक ये काम पूरा करना है. भारत के सभी राज्यों में सबसे ज़्यादा मवेशी उत्तर प्रदेश में हैं, जिसके लिए यूपी में हर महीने 14 लाख मवेशियों के टैग लगने हैं.

इसके अलावा मोदी सरकार ने देश में 10 सीमेन स्टेशन बनाए हैं . यहां Sex-Sorted Semen Production Technology से वीर्य निकाला जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट में 594 करोड़ रुपये लगे हैं. Economics Times में छपी खबर के अनुसार, सरकार अमेरिका की एक कंपनी से बात कर रही है, जो ऐसी टेक्नॉलिजी बनाए जिससे Sex-Sorted Semen Production Technology से सिर्फ़ मादा मवेशी ही जन्म लें. टारगेट है कि 2019 तक 60 लाख मादा मवेशी पैदा हों,जो आनुवंशिक रूप से बेहतर हों. 

Article source- Indiatimes

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