कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को मात तब ही दी जा सकती है, जब लोग एक-दूसरे का साथ दें. किसी एक की परेशानी, किसी दूसरे के लिए पैसा बनाने का सुनहरा मौका हो सकती है या फिर ख़ुद को एक बेहतर इंसान बनाने का अवसर भी ला सकती है. रास्ते दोनों ही खुले हैं, बस एक सड़क पर सिर झुकाकर चलना होगा और दूसरे पर निगाह उठाकर. ओडिशा के बरहमपुर के सोमनाथ नगर के मक़ान मालिक मुरली मोहन आचार्य ने दूसरे रास्ते पर चलने का फ़ैसला किया. उन्होंने न सिर्फ़ अपने मक़ान में रहने वाले 12 किरायदारों का किराया माफ़ कर दिया, बल्कि सभी को 25 किलो चावल भी दिया. ये सभी किरायेदार या तो छोटा-मोटा व्यवसाय करते हैं या फिर सड़क किनारे खाने-पीने का सामान बेचते हैं.
उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के कारण मेरे 12 किरायेदारों को बहुत ज़्यादा आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन प्रतिबंध के कारण मार्च महीने के बाद से ही उनका व्यापार बंद पड़ा हैं. 12 में से तीन अपने परिवारों के साथ अपने पैतृक गांवों के लिए रवाना हो गए हैं. मैंने अपने किरायेदारों की स्थिति को देखते हुए उनका मई का किराया माफ़ कर दिया. इस मुश्क़िल समय में उनका परिवार भूखा न सोए इसके लिए प्रत्येक परिवार को 25 किलो चावल दिया, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही मदद उनके लिए पर्याप्त नहीं थी.’
बरहामपुर के उपजिलाधिकारी शिंदे दत्तात्रेय भाऊसाहेब ने भी उनके इस कदम की सरहाना की और कहा, ‘हम अपने समाज को बड़े पैमाने पर बदल सकते हैं, भले ही 1 फ़ीसदी मक़ान मालिक अपने किरायेदारों की मदद करने के लिए तैयार हों.’
गौरतलब है कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी मक़ान मालिकों से आग्रह किया था कि वे कम से कम तीन महीने तक किरायेदारों से किराया न वसूल करें.
एक ऐसे वक़्त में जब तमाम ऐसी ख़बरें आ रही हैं, जहां मक़ान मालिकों द्वारा किराया बढ़ाया जा रहा है या फिर किराया न देने की सूरत में घर खाली कराने की धमकी दी जा रही हो, वहां आचार्य जैसे लोग उम्मीद की एक नई किरण की तरह ही नज़र आते हैं. उम्मीद है कि बाकी मक़ान मालिक भी इस संकट काल में किरायदारों के प्रति नरमी दिखाएंगे.