Opportunities In Australian Universities For Underprivileged Indian Students: सुमित का परिवार दिल्ली के टिगरी में एक झुग्गी बस्ती में रहता है. चार जन के परिवार के लिए एक ही कमरा है. वहीं रहकर सुमित ने जी-जान लगाकर पढ़ाई की है. उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में गिनी जाने वाली सिडनी यूनिवर्सिटी तक पहुंचा दिया, जहां वह पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स कर रहे हैं. ऐसा संभव हुआ सिडनी यूनिवर्सिटी की सिडनी स्कॉलर्स इंडिया इक्विटी स्कॉलरशिप के कारण, जिसमें होनहार विद्यार्थियों को 60 हज़ार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी करीब 30 लाख रुपये सालाना मिलते हैं.
सुमित बताते हैं कि जब वह टिगरी के अपने घर में रहते थे तो सबके सो जाने के बाद बैटरी से चलने वाली लाइट की रोशनी में पढ़ते थे. वो कहते हैं,
रोज़ सुबह उठकर लाइन में लगना होता था ताकि पानी भरा जा सके. चोरी-चकारी, मार-पीट और शराबियों का हल्ला-गुल्ला रोज़ की बात थी.
ऐसे माहौल में पढ़ाई करते हुए सुमित ने 12वीं में 95% अंक हासिल किए तब एक समाजसेवी संस्था आशा कम्यूनिटी हेल्थ एंड डिवेलपमेंट सोसाइटी के सदस्यों का ध्यान उनकी प्रतिभा पर गया और उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीए में दाखिला दिलाया. सुमित अपने परिवार से यूनिवर्सिटी जाने वाले पहले व्यक्ति थे.
वो बताते हैं,
मेरे पिता भी अच्छे विद्यार्थी थे लेकिन गरीबी के कारण पढ़ नहीं पाए. मेरे दादा का निधन काफ़ी कम उम्र में हो गया था इसलिए पापा को काम करना पड़ा. उनका सपना है कि एक दिन मैं अपने पांव पर खड़ा हो जाऊं और सफल व्यक्ति बनूं.
आशा की संस्थापक-निदेशक डॉ. किरन मार्टिन के मार्गदर्शन में सुमित ने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई के लिए उपलब्ध स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया और 2022 की सिडनी स्कॉलर्स इंडिया इक्विटी स्कॉलरशिप जीती. इसी साल फरवरी में वो सिडनी पहुंचे और दुनियाभर से आए छात्रों के साथ पढ़ाई कर रहे हैं.
कई छात्रों को फ़ायदा
बहुत कम संसाधनों के बावजूद अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर ऑस्ट्रेलिया पहुंचने वाले सुमित पहले भारतीय छात्र नहीं हैं. पिछले साल तुषार जोशी इसी स्कॉलरशिप पर ऑस्ट्रेलिया आए थे और सिडनी यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय कानून की पढ़ाई कर रहे हैं. 23 साल के तुषार जोशी भी दिल्ली की झुग्गी बस्ती में रहते थे और बेहद मुश्किल हालात में पढ़ाई करते हुए उन्होंने भारत में शानदार अकैडमिक रिकॉर्ड बनाया था.
ऑस्ट्रेलिया के कई विश्वविद्यालयों ने भारत के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों को अपने यहां बुलाने के लिए ऐसी योजनाएं शुरू की हैं जो ख़ासकर उन तबकों के लोगों के काम आ रही हैं, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं और अपने दम पर विदेश में महंगी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते. सिडनी यूनिवर्सिटी की सिडनी स्कॉलर्स इंडिया इक्विटी स्कॉलरशिप में किसी एक छात्र की ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया जाता है. इसमें आने-जाने के अलावा ऑस्ट्रेलिया में रहने, इंश्योरेंस और किताबों तक का खर्च शामिल है.
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय की ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड स्कॉलरशिप अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट छात्रों के लिए उपलब्ध है. ऑस्ट्रेलिया सरकार की एसीयू डेस्टिनेशन ऑस्ट्रेलिया इंटरनेशनल स्कॉलरशिप अंडरग्रैजुएट छात्रों के लिए है जबकि ऑस्ट्रेलिया रिसर्च ट्रेनिंग प्रोग्राम स्कॉलरशिप पोस्ट ग्रैजुएट करने वाले छात्रों को आर्थिक मदद देती है.
कई विश्वविद्यालयों की अपनी निजी योजनाएं भी हैं जो भारत के प्रतिभाशाली छात्रों के लिए हैं. मसलन, सिडनी का न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय अकैडमिक रिकॉर्ड के आधार पर पूरी या आधी फ़ीस के बराबर वजीफ़ा देता है. चार्ल्स डार्विन यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर स्कॉलरशिप, फ्लिंडर्स इंटरनेशनल पोस्ट ग्रैजुएट स्कॉलरशिप, एडिलेड ग्लोबल एक्सिलेंस स्कॉलरशिप जैसी तमाम योजनाएं हैं जो भारत से आने वाले छात्रों को महंगी पढ़ाई का बोझ उठाने में मददगार साबित हो रही हैं.
भारत के साथ मज़बूत होते रिश्ते
सिडनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और प्रेजिडेंट प्रोफ़ेसर मार्क स्कॉट कहते हैं कि भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के शैक्षिक रिश्ते बेहद अहम हैं. वो बताते हैं,
हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे बहुत से छात्र हमारे यहां पढ़ते हुए जीवन बदलने वाले अनुभवों से गुज़रते हैं. रणनीति-2032 के तहत हम ऐसे बहुत से रास्ते तैयार करना चाहते हैं जिससे विभिन्न पृष्ठभूमियों के छात्र सिडनी में सफल हों. इस मामले में आशा के साथ हमारी साझेदारी एक अहम हिस्सा है.
पिछले साल वोलोंगोंग यूनिवर्सिटी ने भारतीय छात्रों के लिए वाइस चांसलर्स लीडरशिप स्कॉलरशिप की शुरुआत की थी जिसके तहत छात्रों को आर्थिक मदद के अलावा ऑस्ट्रेलिया में विशेष लीडरशिप ट्रेनिंग और यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की निजी देखरेख में पढ़ाई का मौका मिल रहा है.
ये स्कॉलरशिप इन छात्रों के लिए जीवन बदलने वाले मौके ही साबित हो रही हैं. हवाई यात्रा करने वाले अपने परिवार के पहले व्यक्ति तुषार जोशी बताते हैं,
सिडनी में मैंने अपना पहला क्रिकेट मैच देखा जब सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में एशेज टेस्ट हुआ. अलग-अलग सम्मेलनों में यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करने से लेकर सुंदर समुद्र तटों पर घूमने तक कई तरह के अनुभव मुझे यहां मिले हैं.
पिछले कुछ सालों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा क्षेत्र में संबंधों में काफ़ी गहराई आई है. अब ऑस्ट्रेलिया आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं. भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर तक ऑस्ट्रेलिया में एक लाख से ज़्यादा भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे जबकि तीन साल पहले तक ये संख्या इसकी लगभग आधी थी.
कई ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोल रहे हैं या फिर वहां के विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ कर रहे हैं ताकि भारतीय छात्रों के लिए ऑस्ट्रेलिया की पढ़ाई उपलब्ध हो सके. वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता बताते हैं, वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया में अपना शिक्षा केंद्र बनाने वाली पहली यूनिवर्सिटी बनने जा रही है. इसके तहत पिछले साल जुलाई में हमने गुजरात इंटरनेशनल फाइनैंस टेक-सिटी के साथ समझौता किया था. शुरुआत में हमारा कार्यक्रम गुजरात में वित्त, उद्योग और विज्ञान विषयों से जुड़ी पढ़ाई पर केंद्रित होगा.