कौन हैं पद्मश्री ‘वृक्ष माता’, जिन्होंने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए राष्ट्रपति को आशीर्वाद दिया

Kundan Kumar

‘वृक्ष माता’ के नाम से मशहूर 106 वर्ष की सालूमरदा थीमक्का को शनिवार के दिन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा पद्मा श्री सम्मान मिला. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे.  

The News Minute

सम्मान पाने वाली सालूमरदा भारत के राष्ट्रपति से उम्र में लगभग 30 साल बड़ी हैं. जब उनसे पुरस्कार प्राप्त करते हुए कैमरे की ओर देखने के लिए कहा गया, तब उन्होंने अपनी हथेली राष्ट्रपति के सिर पर आशीर्वाद देने की मुद्रा में रख दी. ये देखते ही सभागृह में दर्शकों ने तालियां बजा दी.  

राष्ट्रपति ने इस तस्वीर को ट्विटर पर साझा किया और लिखा कि यह राष्ट्रपति का सौभाग्य है कि वो भारत के योग्य नागरिक को सम्मान देते हैं लेकिन आज जब कर्नाटक की 106 वर्षीय पर्यावरणविद, सालूमरदा थीमक्का ने मुझे आशीर्वाद दिया, तो उनका ये भाव मुझे भीतर तक छू गया.  

राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति भवन में पौधारोपण किया.  

सालूमरदा कर्नाटक की रहने वाली पर्यावरणविद हैं, उन्होंने Hulikal और Kudoor गांव के बीच में हाइवे के पास चार किलोमीटर के क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाए हैं.  

सालूमरदा और उनके पति की कोई संतान नहीं है, इस बात से निराश हो कर सालूमरदा ने आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी. उन्होंने वक्त बिताने के लिए शाम का समय पेड़ों के देखभाल करने का निश्चय किया.  

पदम्श्री से पहले सालूमरदा को कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. कर्नाटक राज्योत्सव अवॉर्ड, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय नागरिक अवॉर्ड इस लिस्ट में आते हैं.  

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे