त्रासदी के बीच भी नहीं छोड़ा मानवता का साथ. अपने बच्चों की मौत के बाद किया परिवार ने अंगदान

Vishu

दिल्ली में एक भयानक त्रासदी के बीच मानवता की मिसाल देखने को मिली है. सोमवार की सुबह पंजाबी बाग के पास हुए एक्सीडेंट में दो स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. इस त्रासदी के बीच इनके परिवार वालों ने ज़बरदस्त हिम्मत का परिचय देते हुए अपने बच्चों की नेत्रों को दान कर 4 लोगों के जीवन में रोशनी लाने का काम किया है.

सोमवार की सुबह संचित छाबरा और रितु सिंह एक्ज़ाम देने जा रहे थे. 19 साल के संचित और रितु की होंडा सिटी का बैलेंस बिगड़ा और बाहरी रिंग रोड के एक फ्लाईओवर से उनकी गाड़ी नीचे जा गिरी. संचित और रितु की मौके पर मौत होने के बाद उनका परिवार सदमें में है. लेकिन त्रासदी की इस घड़ी में भी इन्होंने मानवता का साथ नहीं छोड़ा और अपने बच्चों के अंगों को दान कर दिया.

संचित के पिता, राज कुमार छाबरा ने कहा कि वे अपने बेटे के सारे अंगों को दान कर देते, अगर उन्हें ये ख़्याल पहले आया होता. जब तक एक एनजीओ ने हमें डोनेशन के लिए पूछा उस समय तक डोनेट करने के लिए केवल संचित की आंखें ही सही हालातों में थी. मेरा बेटा एक मददगार लड़का था. मुझे खुशी है कि वो मरने के बाद भी लोगों के काम आ रहा है. वो चला गया है, लेकिन कम से कम दो लोग ये दुनिया उसकी आंखों के सहारे देख सकते हैं. ऐसा सोच कर ही मैं थोड़ा बेहतर महसूस करने लगता हूं.

रितु के पिता मल्खान सिंह ने भी बिना कोई वक्त गंवाए अपनी बेटी की आंखों को डोनेट करने का फ़ैसला किया था. एक एनजीओ ने मल्खान सिंह को उन दो लोगों से मिलाया, जो रितु की आंखे इस्तेमाल कर पाएंगे.

उन्होंने बेहद भावुक होते हुए कहा कि मैं ताउम्र इन लोगों से मिलता रहूंगा. मेरी बेटी इन दो लोगों के सहारे मेरे लिए हमेशा ज़िंदा रहेगी.

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे