रमज़ान के पाक़ महीने में पटना सिटी की एक मस्जिद ने महिलाओं के लिए खोले अपने दरवाज़े

Sanchita Pathak

सभी मस्जिदों में महिलाओं को नमाज़ पढ़ने की इजाज़त नहीं होती. कुछ चुनिंदा मस्जिदों में ही जाकर महिलाएं नमाज़ अदा कर सकती हैं. इस प्रथा को लेकर विवाद और डिबेट कई सालों से चली आ रही है.


पटना सिटी की एक मस्जिद ने महिलाओं को ‘तरावीह की दुआ’ में हिस्सा लेने की इजाज़त दे दी है. रमज़ान के महीने में ये ख़ास दुआ की जाती है. पटना सिटी के मितन घाट स्थित खानकाह मुजीबिया और मस्जिद ने महिलाओं को ये इजाज़त दी है. 

ख़ानकाह मुजीबिया में महिलाओं को न सिर्फ़ एक ख़ास कोना दिया जायेगा, बल्कि उनके लिए एक हाफ़िज़ भी होगा.   

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वज़ू के लिए भी महिलाओं को एक ख़ास जगह दी जाएगी.


इस मस्जिद में कई सूफ़ी संतों जैसे मुल्ला मितन, हज़रत मख़दूम मुनीम पाक के मक़बरे हैं. 

ख़ानकाह के प्रशासनिक अधिकारी, हज़रत सैयद शाह शामीमुद्दीन अहमद मुनेमी ने कहा,    

आने वाले महीनों में ख़ानकाह को सूफ़ी विश्वविद्यालय में बदला जाएगा. हम सूफ़ी स्टडी सेंटर द्वारा प्यार और सौहार्द का संदेश देना चाहते हैं और इस देश की संस्कृति के बारे में बताना चाहते हैं. हमें हमारे समुदाय की महिलाओं की उम्मीदों का भी अंदाज़ा है.

मुनेमी ने आगे बताया, 

मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी नहीं है. इससे जुड़े कई मिथक हैं और ये अभी भी कई लोगों के दिमाग में है. इसीलिए महिलाओं को शहर या राज्य के किसी मस्जिद में नमाज़ अदा करते नहीं देखा जाता.
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कुछ दिनों पहले पुणे के एक दंपत्ति ने सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर की थी. इस PIL में उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में नमाज़ अदा करने की इजाज़त देने की मांग की थी.


दंपत्ति ने PIL में ये कहा कि न तो क़ुरान महिलाओं के मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी लगाता है और न ही पैगंबर मोहम्मद महिलाओं के मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के ख़िलाफ़ थे. 

पटना सिटी के मस्जिद का ये निर्णय समाज के लिए एक मिसाल है.    

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