प्रधानमंत्री के गांव और उनकी चाय की दुकान को एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित करेगा ASI

Sumit Gaur

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को ‘चायवाला’ कह कर अपनी छवि को लोगों से जोड़ने की कोशिश की थी. उनकी इस छवि के कारण ही उन्हें लोगों का ज़बरदस्त प्यार मिला और वो बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब हो पाए. बेशक लोग चुनावों से पहले की बातों को भूल गए हों, पर सरकार इसे नहीं भूली है.

दरअसल, सरकार ने फ़ैसला लिया है कि जिस जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाय बेचा करते थे, उसे एक टूरिस्ट स्पॉट में बदला जायेगा.

प्रधानमंत्री खुद के बारे में कई मौकों पर कह चुके हैं कि वो वाडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय का स्टाल लगाया करते थे. वाडनगर का मेहसाणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्म स्थली भी रह चुकी है.

इस बाबत मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर एंड टूरिज्म, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के साथ मिल कर इस जगह का दौरा भी कर चुकी है. यूनियन कल्चर मिनिस्टर महेश शर्मा का कहना है कि ‘इस जगह की सादगी को मॉडर्न लुक के साथ बरकार रखा जायेगा.’

प्रधानमंत्री की जन्मस्थली के पास शर्मिष्ठा झील को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया इतिहास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बता चुका है. उसका कहना है कि खुदाई के दौरान यहां से प्राचीन बौद्ध स्तूप भी मिले हैं.

हालांकि, ट्विटर पर इस ख़बर की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही. कुछ लोगों ने इसके लिए बधाई दी, तो कुछ इस पर चुटकी भी लेते हुए नज़र आये.

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