पॉन्डिचेरी यूनिवर्सिटी टॉपर को ‘कपड़ों और विचारों’ से पहचान कर राष्ट्रपति के सामने नहीं आने दिया

Sanchita Pathak

देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी का विरोध हो रहा है. कहीं शांतिपूर्ण तो कहीं हिंसात्मक.


विरोध का हिंसात्मक रूप इतना ख़तरनाक है कि 20 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है. 

ऐसी हालात में पॉन्डीचेरी यूनिवर्सिटी से विरोध की एक ऐसी ख़बर आई है जिसे पढ़कर सीएए का समर्थन करने वाले भी ग़लत नहीं बता सकते. एक फ़ेसबुक पोस्ट द्वारा यूनिवर्सिटी की गोल्ड मेडलिस्ट ने आपबीती सुनाई.  

फ़ेसबुक पोस्ट द्वारा रबीहा अब्दुरेहिम ने ये कहा,

‘मैंने हमेशा उस पल का ख़्वाब देखा जिस पल मुझे गोल्ड मेडल और मास्टर्स सर्टिफ़िकेट मिलेगा. मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि ये देशभर में एक शांतिपूर्ण संदेश देने का ज़रिया बनेगा. सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे छात्रों और पब्लिक को समर्थन देते हुए मैंने बतौर एक महिला, एक छात्र, एक भारतीय अपने ग्रैजुएशन में स्वर्ण पदक लेने से इंकार किया. ये मेरा तरीका था दुनिया को दिखाने का कि शिक्षा हम युवाओं के लिए क्या मायने रखती है. मेडल या सर्टिफ़िकेट मायने नहीं रखते पर एकता, शांति का संदेश देना और अन्याय, फ़ासीवाद और कट्टरता के ख़िलाफ़ उठ खड़े होना.  

हालांकि कुछ ‘कारणों’ से मुझे ऑडिटोरियम से बाहर भेजा गया जहां लगभग 100 अन्य छात्र भी थे. जब राष्ट्रपति गये तभी मुझे अंदर जाने दिया गया. पर मुझे शांति महसूस हो रही है क्योंकि मैंने शिक्षित युवा के लिए स्टैंड लिया.

PS- मैं ये न्यूज़ देख रही थी, जहां ये कहा जा रहा था कि मुझे हिजाब हटाने को कहा गया. ये ग़लत है. किसी ने मुझे ऐसा नहीं कहा. किसी ने मुझे नहीं बताया कि मुझे बाहर क्यों रखा गया था.’ ‘ 

रबीहा के पोस्ट को 5 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और ढाई हज़ार से ज़्यादा शेयर्स मिल चुके हैं. 

रबीहा के पोस्ट पर लोगों की प्रतिक्रिया-   

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