मौका था स्वतंत्रता दिवस का, पूरा देश तिरंगे में रंगा नज़र आ रहा था. बच्चों के हाथ में तिरंगा, तिरंगे गुब्बारों से सजी इमारतें, किसी ने अपने माथे पर तिरंगा बनवा लिया, तो किसी ने अपने बदन पर. इस मौके पर प्रियंका चोपड़ा ने भी एक छोटा सा वीडियो डाला, जिसमें उन्होंने तिरंगा स्कार्फ़ पहना था. गौर कीजियेगा, केवल तिरंगा स्कार्फ़ पहना था, भारत का झंडा नहीं.
बस इतना करना था और लोग जुट गए उन्हें ट्रोल करने में. किसी ने कहा कि वो झंडे का अपमान कर रही हैं, किसी ने कहा उन्हें साड़ी या सूट पहनना चाहिए था, किसी ने कहा वो भारतीय के नाम पर धब्बा हैं, उन्होंने कानून तोड़ा है, तो किसी ने ये तक कह डाला कि अब वो भारत लौटने के लायक नहीं रहीं.
मज़े की बात तो ये है कि ऐसा करते हुए लोग ये भी भूल गए कि उन्होंने एक तिरंगा स्कार्फ़ पहना है, भारत का झंडा नहीं, जो बिना अशोक चक्र के अधूरा होता है. ये स्कार्फ़ उसी तिरंगे कपड़े जैसा था, जिससे एक बार प्रधानमंत्री मोदी अपना नमकीन पसीना पोछते नज़र आये थे और किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई थी (शायद लोगों को लगा हो देशभक्ति वाला पसीना तिरंगे से पोछा जा सकता है).
हर मैच में लोग स्टेडियम में अपने नंगे बदन पर तिरंगा पोत कर आते हैं और किसी को कोई आपत्ति नहीं होती. लेकिन जींस-टॉप पहनी हुई प्रियंका को लोगों ने धड़ल्ले से बिन मांगी सलाह दी कि साड़ी पहननी चाहिए अगर तिरंगा छूना है तो. आखिर क्यों? क्या मर्द का बदन कुछ न पहनने पर भी नंगा नहीं होता? फिर एक औरत की देशभक्ति उसकी ड्रेस की लम्बाई पर कैसे निर्भर करती है?
अगर क़ानून की बात करें, तब भी अशोक चक्र के बिना तिरंगा पहनना कोई क़ानूनन अपराध नहीं है. आपने देश के खिलाड़ियों को भी कई अवसरों पर तिरंगे को अपनी ड्रेस का हिस्सा बनाते हुए देखा होगा.
वैसे प्रियंका का ट्रोल होना लाज़मी है, उनमें ट्रोल होने के सारे गुण जो मौजूद हैं. सबसे पहले तो वो एक महिला हैं, सोने पर सुहागा, एक सफल महिला हैं, कभी-कभी घुटनों से ऊपर तक की ड्रेस पहन लेती हैं, इस पर अब वो तिरंगा छू लेंगी, तो ट्रोल नहीं होंगी क्या?
बाकी ये कुछ और तस्वीरें हैं, जिनमें आपको लोग तिरंगे का उपयोग करते दिख जायेंगे.
शाहरुख़ ने रात में उल्टा तिरंगा फ़हराया था.
इन तस्वीरों में मर्द हैं, इसलिए इन पर आप ‘भारत माता की जय’ का कमेन्ट कर सकते हैं.