जब लॉकडाउन में फंसे मदरसे के बच्चों को हुई खाने की दिक़्क़त, मदद के लिए सामने आया गुरुद्वारा

Abhay Sinha

कोरोना वायरस भारत में तेज़ी से फैल रहा है. इसे रोकने के लिए सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया. सरकार की ओर से अचानक लिए गए इस फ़ैसले के कारण बहुत से लोग जहां थे वहीं फंस गए. ऐसे में समाज के अलग-अलग वर्गों से लोग सामने आ रहे हैं, जो ज़रूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. 

पंजाब के मालेरकोटला स्थित गुरुद्वारा ‘साहिब हा का नारा’ के पास में ही एक मदरसा है, जहां लॉकडाउन के बाद कुछ बच्चे फंस गए हैं. इन बच्चों को गुरुद्वारा की ओर से खाना खिलाया जा रहा है. 

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The Quint की रिपोर्ट के मुताबिक़, सरकार की ओर लॉकडाउन के एलान के बाद कुछ बच्चों को अपने घरों के लिए रवाना कर दिया गया था. लेकिन 40 के क़रीब बच्चे यहां फंसे रह गए थे. 

इन बच्चों को ख़ुद के लिए खाने का इंतज़ाम करने में काफ़ी परेशानी हो रही थी. ये बात जब गुरुद्वारा कमेटी को पता लगी तो, उन्होंने इन सभी बच्चों को खाना खिलाने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली. 

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The Tribune से बात करते हुए मदरसे की ज़िम्मेदारी संभाल रहे मौलवी ने गुरुद्वारे का धन्यवाद करते हुए कहा, ‘कर्फ़्यू लगने के बाद सभी ट्रेनें कैंसल हो गईं. हमें कर्फ़्यू लगने का अंदाज़ा नहीं था, इसलिए हम कोई व्यवस्था नहीं कर पाए. लेकिन हम गुरुद्वारा कमेटी के शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने इसकी देखभाल की. जब भी कोई परेशानी में होता है तो वो हमेशा उसकी मदद करते हैं.’ 

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ऐसे ही कुछ और भी गुरुद्वारे हैं, जो रोज़ दो वक़्त का खाना क़रीब 1,000 लोगों को खिला रहे हैं. मालेरकोटला में ही एक और भी गुरुद्वारा है, जो लॉकडाउन के बाद फंसे प्रवासी मज़दूरों की देखभाल कर रहा है. 

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