कुछ साल पहले एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में Infosys के फ़ाउंडर और पूर्व-चेयरमैन नारायण मूर्ति ने छात्रों से कहा था,
‘देश के विकास के लिए हर नागरिक ज़िम्मेदार है, लेकिन विकास के लिए शिक्षित नागरिकों की ज़्यादा बड़ी ज़िम्मेदारी है.’
भाषण में उन्होंने एक सवाल भी किया,
‘क्या हमने अपने पूर्वजों के आदर्श और विकसित भारत के सपने को पूरा किया?’
2011 के इस वीडियो को देखिए जिसमें कलाम साहब छोटे-छोटे बच्चों से बात कर रहे हैं:
कलाम साहब की बातें हों या नारायण मूर्ति की, उनकी बातें हमें कुछ अच्छा करने को, सफ़लता न मिलने तक संघर्ष करने को प्रेरित करती हैं.
अब पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति राजा राम यादव का भाषण सुनिए.
‘अगर आप पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र हो तो रोते हुए मेरे पास कभी मत आना. एक बात बता देता हूं… अगर किसी से झगड़ा हो जाए तो उसकी पिटाई करके आना और तुम्हारा बस चले तो उसका मर्डर करके आना. इसके बाद हम देख लेंगे.’
30 दिसबंर को गाज़ीपुर के एक कॉलेज समारोह के दौरान राजा राम ने ये बातें कहीं.
कुलपति महोदय ने भाषण में और क्या-क्या कहा वो तो मालूम नहीं, लेकिन कुछ सेकेंड्स का ये वीडियो कई सवाल खड़े कर रहा है.
1. रोना ग़लत क्यों है? अलग-अलग तरह के प्रेशर से दबे रहने वाले छात्र क्या अपना दिल हल्का नहीं कर सकते?
2. क्या देश में लोकतंत्र नहीं है, जो कुलपति महोदय मर्डर करने का गुर छात्रों को सिखा रहे हैं?
3. एक कुलपति का अपने छात्रों को इस तरह से उकसाना किस तरह की शिक्षा है?
NDTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने कुलपति जी से उनके इस तरह के भड़काऊ भाषण देने के पीछे का कारण पूछा है.
भावनाओं में बह चुके कुलपित महोदय शायद ये भूल गए कि उनके सामने खड़ी भीड़ में 18-19 साल के छात्र होंगे, जिनमें Maturity कम होती है. कुलपति बुलंदशहर की वो घटना भी भूल गए, जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की निर्मम हत्या की गई थी.
जिन युवाओं को सही दिशा दिखानी चाहिए उन्हें मुख्यमंत्री जी भड़का रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि वो ‘देख लेंगे’. देश में शिक्षा के हालात किसी से छिपे नहीं हैं और विश्वविद्यालय के कुलपति इस प्रकार के भाषण दे रहे हैं.