तेजस एक्सप्रेस से हेडफ़ोन्स, Switch चुरा कर और LCD ख़राब कर हमने साबित कर दिया… हमसे न हो पाएगा

Sanchita Pathak

विकासशील से विकसित देश बनने की होड़ में विकास के नाम पर कई योजनायें शुरू की गईं. बुलेट ट्रेन के लिए बातचीत से लेकर नई सुविधाओं से लैस कई ट्रेन्स चलाने तक. पर हम भारतीय तो भारतीय हैं… अच्छी चीज़ें हमसे संभलती नहीं (अधिक जानकारी के लिए नज़दीकि ऐतिहासिक स्थलों पर जाएं).

ऐसा हम इसलिये कह रहे हैं क्योंकि भारतीय रेलयात्रियों की चिंदी हरकतों से तंग आकर रेलवे ने तेजस एक्सप्रेस से LCD स्क्रीन्स हटाने का निर्णय लिया है. इस ट्रेन की सीट्स के पीछे LCD स्क्रीन्स लगाये गये थे, जिस पर यात्री वीडियो गेम्स, फ़िल्मों और गानों का मज़ा ले सकते थे. पर हेड फ़ोन की बढ़ती चोरी, ख़राब होती LCD स्क्रीन्स और ग़ायब होते पावर बटन से परेशान होकर रेलवे अधिकारियों ने इन्हें हटाने का निर्णय लिया है.

यात्रियों की उद्दंडता से तंग आकर रेलवे अधिकारियों ने दो प्रीमियम ट्रेन्स के कोच से LCD स्क्रीन्स हटाने का फ़ैसला लिया है.

HT से हुई बातचीत में एक रेलवे बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया,

फरवरी में इससे संबधित ऑर्डर जारी कर दिए गए थे. हर ज़ोन की गाड़ियों में LCD हटाने का काम जल्द ही शुरू कर दिया जायेगा.

LCD हटाने की सख़्त कार्रवाई के बावजूद, रेलवे ने हर ट्रेन में मुफ़्त WiFi सुविधा देने का निर्णय लिया है. फिल्हला सिर्फ़ प्रीमियम ट्रेनों में ये सुविधा उपलब्ध है.

Nyooz

पहली तेजस एक्सप्रेस, मई 2017 में मुंबई से गोवा के बीच शुरू की गई थी. अभी ट्रेन को शुरू हुए 1 साल भी नहीं हुआ और LCD स्क्रीन्स हटाने का निर्णय भी ले लिया गया.

एक बात समझ नहीं आती कि परेशानी क्या है? विकास सबको चाहिए, सबको अपने जीने के स्तर में सुधार चाहिए लेकिन कोई क्यों अपनी हरकतें नहीं सुधार सकते? बाकी तो छोड़ दीजिये, सड़क पर थूकना और पेशाब करना ही बंद कर दें, तो बहुत होगा.

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