हार्टअटैक आने पर ड्राईवर ने सड़क किनारे रोकी बस और बचाई 40 यात्रियों की जान

Rashi Sharma

पिछले महीने गुजरात से एक ख़बर आई थी कि गुजरात राज्य मार्ग वाहन व्यवहार निगम की एक बस के ड्राईवर को तेज़ रफ़्तार से दौर रही बस में हार्ट अटैक आ गया था. लेकिन उसने अपनी सूझ-बूझ और सतर्कता से बस में बैठे सभी 70 यात्रियों की जान बचा ली थी. हालांकि, उसकी जान नहीं बच पायी थी. अब ऐसी ही एक ख़बर राजस्थान से आ रही है.

ख़बर है कि राजस्थान में एक बस ड्राईवर को एक उस समय हार्टअटैक आया, जब वो एक व्यस्त सड़क पर बस चला रहा था. लेकिन हिम्मत न हारते हुए उसने बस को सड़क किनारे park किया, ये भी सुनिश्चित किया कि बस में बैठे सभी 40 यात्री, जिनमें ज़्यादातर बच्चे थे, सभी सुरक्षित हैं. उसके बाद उसने अपने दिल के दौरे के बारे में बताया.

सूत्रों के मुताबिक़, बीते मंगलवार मज़बूत कद-काठी वाले नवाज़ बेग ने राज्य के दक्षिणी रेगिस्तान से लगे हुए मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के डुंगरपुर से राजस्थान रोडवेज़ की एक बस ली थी. लेकिन जैसे ही वो बस डुंगरपुर से होती ही बांसवाड़ा को क्रॉस करती है, तभी 50 वर्षीय नवाज़ बेग को छाती में तेज़ दर्द महसूस होने लगता है. उस समय सुबह के 11:30 बजे थे. ये वो समय है, जब उस रास्ते पर बहुत ज़्यादा ट्रैफिक रहता है.

नवाज़ बेग ने हिंदुस्तान टाइम्स से फ़ोन पर बात करते हुए बताया, ‘जब मुझे बेहोशी जैसा महसूस होने लगा, मैंने सड़क से बस को किनारे करते हुए और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाते हुए किनारे खड़ा कर दिया। जब मुझे होश आया, तब शाम हो चुकी थी.’

हालांकि, अब नवाज़ बेग की हालत ठीक है और वो ख़तरे से बाहर हैं. उनको बांसवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जैसे ही बेग ने बस को साइड नें खड़ा किया, वैसे ही बस का कंडक्टर और दूसरे ने यात्री चार बच्चों के इस पिता को ऑटोरिक्शा में लेकर अस्पताल पहुंचे.

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राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम, बांसवाड़ा के चीफ़ मेनेजर, कादुरम मीना ने बताया कि ये घटना बांसवाड़ा शहर, जहां बहुत ही भीड़-भाड़ रहती है, वहां हुई थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘ये सोच कर ही मन कांप उठता है कि अगर कहीं बेग का नियंत्रण बस की स्टेयरिंग से छूट जाता, तो क्या होता?’

बेग को इससे पहले कभी किसी तरह की हार्ट प्रॉब्लम नहीं हुई है. अब बेग अपनी हालत के लिए परामर्श करने अहमदाबाद जाने का विचार कर रहे हैं. बेग बताते हैं, ‘मैं करीब 38 बार रक्तदान कर चुका हूं. ये किसी की प्रार्थनाओं का ही फल है, जिसने मेरी जान बचा ली.’

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