दिल्ली दंगों ने सैंकड़ों लोगों की ज़िन्दगियां उजाड़ दी. किसी की जीवनभर की कमाई लुट गई तो किसी के बुढ़ापे का सहारा छिन गया. सैंकड़ों पीड़ितों में से एक हैं, ऐश मोहम्मद.
दंगों में जो कुछ भी किया गया है उसके बाद तो ऐसा ही लगता है जैसे मुझे इस देश में रहने का हक़ नहीं है.
-ऐश मोहम्मद
पिछले हफ़्ते उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगो के बाद मोहम्मद मुस्तफ़ाबाद स्थित, ईदगाह में बनाए गए रिलीफ़ कैम्प में रहने पर मजबूर हैं. भागीरथी विहार में मोहम्मद का घर था और बीते 25 फरवरी उसे दंगाईयों ने जला दिया.
200-250 दंगाई आये और पत्थर फेंकने लगे, गोलियां चलाने लगे और मेरे घर में आग लगा दी. मैं घर के अंदर अपने 26 साल के बेटे के साथ था. हम छत पर गये और पड़ोसी की छत पर कूदे. 29 मार्च को मेरी भतीजी की शादी होने वाली थी इसीलिए गहने वगैरह बनवाए थे, सब चुरा लिए.
-ऐश मोहम्मद
ऐश मोहम्मद का ये भी कहना था कि उन्होंने 3 बार 100 नंबर पर फ़ोन किया पर किसी ने फ़ोन नहीं उठाया.
पिछले हफ़्ते हुए दिल्ली दंगों में सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाकों में से ही एक इलाका था, भागीरथी विहार, जहां मोहम्मद का घर था. NDTV की रिपोर्ट मुताबिक़, 4 दिनों से ज़्यादा दिनों तक दंगाई हाथों में रॉड्स, पत्थर, हॉकी लिए रास्तों पर घूमते, घरों में लूट-पाट मचाते, घरों और प्रोपर्टी को जलाते हुए घूमते रहे.
दिल्ली दंगों में अब तक 47 लोगों के मारे जाने और 350 के ज़ख़्मी होने की ख़बर है.