जख़्मी होने के बावजूद मिग-29 को सुरक्षित उतारने वाले इस जवान की कहानी, साहस और सूझबूझ की मिसाल है

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अक्सर ये माना जाता है कि केवल युद्ध या आपदा जैसी परिस्थितियों में ही सेना और जवानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस बात से इतर सैनिकों को पल-पल चौकन्ना रहना होता है और शांति के समय भी देश के सैनिक कई तरह की दिक्कतों से जूझते रहते हैं. मीडिया में या लोगों में इन भीषण हालातों की ज़्यादा चर्चा भले ही न होती हो, लेकिन अपने देश के सैनिक, हर दिन कई तरह के खतरों से घिरे रहते हैं और उनसे अपनी सूझ-बूझ के सहारे निपटते हैं.

इन सैनिकों का साहस और देश के प्रति प्रेम ही भारत को सालों-साल कई परेशानियों से उबारने में कामयाब रहा है.हाल ही में संपन्न हुए गणतंत्र दिवस पर वायुसेना मेडल से नवाजे गए स्कवॉड लीडर रिजुल शर्मा की कहानी भी अदम्य साहस और देश प्रेम की एक नायाब मिसाल है.

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गौरतलब है कि पिछले साल जून में स्क्वॉड रन लीडर रिजुल शर्मा मिग-29 विमान की परफॉर्मेंस चेक करने के लिए इसे उड़ा रहे थे. ये विमान जमीन से 110 किलोमीटर की ऊंचाई पर सुपर सोनिक स्पी़ड से उड़ रहा था कि तभी एक हादसा हो गया. अचानक ही विमान की कैनोपी टूट गई. कॉकपिट के ऊपर मौजूद इस पारदर्शी कैनोपी के टूट जाने की वजह से अब रिजुल को बेहद ठंडे तापमान का सामना करना पड़ रहा था. रिजुल तापमान की दिक्कत से तो जूझ ही रहे थे साथ ही कैनोपी के टूटे टुकड़ों का कुछ हिस्सा उनके दाएं कंधे में जा धंसा था जिसकी वजह से वो काफी जख़्मी हो चुके थे.

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एक ऐसी स्थिति में जब रिजुल का एक कंधा भी बुरी तरह जख़्मी था और तापमान का प्रकोप भी परेशान कर रहा था, ऐसे में उनके लिए विमान को संभालना और उड़ाना आसान नहीं था. कम तापमान में ज़्यादा देर तक रहने की वजह से रिज़ुल पर बेहोश होने का खतरा भी मंडरा रहा था.

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इन सब परेशानियों के बावजूद रिजुल ने प्लेन से कूदकर अपने आप को सुरक्षित करने के बजाए विमान को ठीक करने की ठानी. बेहद कम रौशनी और कॉकपिट की आवाज़ का शोर बार-बार रिजुल का ध्यान भटका रहा था, लेकिन वह लगातार इस टूटे हुए विमान की गति नियंत्रित करते रहे और बेहद चतुराई से आस-पास के आबादी वाले इलाके से भी दूरी बनाए रखी. 

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रिजुल का ये प्रयोग सफ़ल रहा और वे सफ़लतापूर्वक एक सुरक्षित इमरजेंसी लैडिंग को अंजाम देने में कामयाब रहे. न केवल उन्होंने किसी बड़े हादसे से लोगों को बचाया बल्कि बेहद महंगे लड़ाकू विमान को भी नष्ट होने से बचाने में वे कामयाब रहे.

मशहूर डिफेंस पत्रकार शिव अरूर ने रिज़ुल शर्मा की इस उपलब्धि को ट्विटर पर शेयर किया.

ग़ज़बपोस्ट की तरफ से भारत के इस नायाब जवान को ढेरों सलाम

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