जान की परवाह किए बिना, 6 महीने में बचाई 3 ज़िन्दगियां. किसी फ़रिश्ते से कम नहीं हैं सिपाही प्रदीप

Sanchita Pathak

हमारे देश की सीमा की सुरक्षा सेनाकर्मी करते हैं और हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिस के हाथों में है. पुलिसकर्मियों की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है, क्योंकि वो सब सुनते हैं , सहते हैं और फिर भी अपना काम करते रहते हैं. सेनाकर्मियों पर कोई उंगलियां उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता पर पुलिस की छवि ठीक इसके विपरीत बनी हुई है.

हम बात कर रहे हैं रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के कॉन्सटेबल, प्रदीप कुमार गीते की. प्रदीप, कुर्ला आरपीएफ के सिपाही हैं और पिछले 6 महीनों में उन्होंने 3 ज़िन्दगियां बचाई हैं.

शनिवार को कुर्ला स्टेशन पर, प्रदीप की Passenger Luggage Theft (PLT) की ड्यूटी थी जब उन्होंने BEST के बस कंडक्टर, संजय कोल्टे की जान बचाई. संजय ट्रेन और प्लैटफॉर्म के बीच के गैप में गिरने ही वाले थे कि प्रदीप ने उनकी जान बचाई. कोल्टे नवी मुंबई स्थित अपने घर जा रहे थे और ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश में फिसल गए.

दिसंबर में बचाई थी दो ज़िन्दगियां

ज़िन्दगियां बचाना जैसे उनकी आदत बन गई है. पिछले साल दिसंबर में भी उन्होंने एक मां-बेटी की जोड़ी की ज़िन्दगी बचाई थी. मां ट्रेन पर चढ़ने में असफल रही और प्लैटफॉर्म पर ही फिसल गई थी और उसे बचाने के लिए उसकी बेटी भी प्लैटफॉर्म पर कूदी और फिसल गई. तब प्रदीप ने एक साथी सिपाही की सहायता से दोनों की जान बचाई थी.

प्रदीप उन चंद हीरोज़ में से एक हैं, जो गुमनामी में भी अपना फ़र्ज़ निभाना नहीं भूलते.

Source: Mumbai Mirror

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