ये महिला पति की मौत के बाद परिस्थितियों से हारी नहीं, बल्कि हालातों को हराकर बन गई कुली

Komal

लोग कहते हैं औरत की जगह रसोई में होती है, लेकिन मुश्किल परिस्थिति आने पर ये ही औरत अपने पूरे परिवार को संभाल लेती है. संध्या की कहानी सुन कर आप भी इस बात को मानेंगे. 30 साल की संध्या मरावी एक ऐसे पेशे को अपनाकर अपना घर चला रही हैं, जिसमें अब तक पुरुष ही थे. वो मध्य प्रदेश के कटनी रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करती हैं. ज़्यादातर लोगों को कुली के तौर पर एक महिला को देखने की आदत नहीं होती, इसलिए उन्हें देख कर कई बार लोग चौंक जाते हैं.

संध्या को लोगों की परवाह नहीं है, उसने मजबूरी के आगे हार नहीं मानी और इस पेशे को नहीं छोड़ा. मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कुंडम गांव की रहने वाली संध्या के पति भोलाराम का 2016 में असामयिक देहांत हो गया था. परिवार में अब कोई कमाने वाला नहीं था संध्या के ऊपर तीन बच्चों को पालने की ज़िम्मेदारी आ चुकी थी.

संध्या रोज़ 250 किलोमीटर दूर कटनी रेलवे स्टेशन काम करने जाती है. संध्या के दो बेटे, साहिल (8) हर्षित (6) और एक बेटी पायल (4) है. संध्या के परिवार में बच्चों के अलावा बूढ़ी सास भी है. संध्या बताती हैं कि पैसे न होने की वजह से खाने के लाले पड़ रहे थे, उनसे बच्चों को ऐसे हाल में देखा नहीं जा रहा था, इसलिए उन्होंने कुली बनने का फ़ैसला किया.

कटनी स्टेशन पर लगभग 40 कुली हैं, लेकिन संध्या अकेली महिला कुली है, जो अपने कंधों पर भारी भरकम वज़न ढोती है. वो अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर अफ़सर बनाना चाहती है.

संध्या कहती है कि जिंदगी में चाहे जो हो जाए, वो हार नहीं मानेगी और अपने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. संध्या ने रेलवे विभाग के अधिकारियों से अपना ट्रांसफ़र कटनी से जबलपुर करवाने को अर्ज़ी दी है, ताकि उसे रोज़ इतना लम्बा सफ़र न करना पड़े, लेकिन अभी उस पर कोई सुनवाई नहीं की गई है.

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