मुखिया के दबाव और नौकरी जाने के डर से बिना किसी उपकरण के मजदूरों ने सीवर में उतर कर की सफ़ाई

Sumit Gaur

सफ़ाई करने वाले कर्मचारियों के हितों की रक्षा को ले कर सरकार कई तरह के नियम और क़ानून बना चुकी है, जिसके तहत कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराये जाते हैं. कर्नाटक में इन्हीं सुरक्षा उपकरणों के बिना कर्मचारियों को सीवर की सफ़ाई के लिए उतारना राज्य सरकार के लिए गले की फ़ांस बन गया है.

मामला कर्नाटक के मुख्यमंत्री Siddaramaiah के शहर मैसूर का है, जहां मंगलवार को Tavarakatte गांव के चामुंडेश्वरी मंदिर की सीवर पाइप लाइन की सफ़ाई के लिए मुखिया ने सफ़ाई कर्मचारियों को मैनहोल में ज़बरदस्ती उतार दिया.

गणेश नाम के एक सफ़ाई कर्मचारी का कहना है कि ‘उसने मुखिया से उपकरण आने तक इंतेज़ार करने के लिए कहा, तो मुखिया गुस्से में आ गई और उस पर दबाव बनाने लगी कि वो अपने हाथों से ही सीवर की सफ़ाई करे.’ गणेश का कहना है कि इस बाबत मुखिया ने Panchayat Development Officer को भी बुला लिया, जिसने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की धमकी दी. नौकरी जाने के डर से गणेश सीवर में उतर गया और सफ़ाई की.

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ज़िला अधिकारियों ने इस बाबत गांव की मुखिया गीता और PDO आनंद के ख़िलाफ़ Manual Scavengers Act का उलंघन और धमकाने समेत मामलों में केस दर्ज़ किया है. ज़िला पंचायत के Chief Executive Officer पी. शिवशंकर का कहना है कि ‘इस बाबत सफ़ाई कर्मचारियों से बात करके मामले की जांच की जा रही है.’ 

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