आज आपको एक चालबाज़ चाचा की कहानी बताते हैं! जो भारतीय रेलवे से मुफ़्त खाना पाने के लिए आला दर्जे की चालबाज़ी करते थे, लेकिन उनकी तरकीबें ज़्यादा दिनों तक चली नहीं और वो मौका-ए-वारदात पर दबोचे गए.
रेलवे के एक अधिकारी को खाने की शिकायतों के मामले एक समानता दिखी, सुरेंद्र पाल नाम के शख़्स के खाने में बार-बार छिपकली निकल रही थी. जहां सुरेंद्र को पकड़ा गया, वहां अधिकारियों को पहले ही चौकन्ना रहने को कह दिया गया था.
जबलपुर के सीनियर DCM बसंत कुमार ने मीडिया को बताया, ‘उसने दावा किया था कि जबलपुर स्टेनश पर 14 जुलाई को उसे समोसे में छिपकली मिली थी. फिर उसने गुंतकल स्टेशन पर शिकायत की थी कि उसकी बिरयानी में छिपकली थी. मुझे उस पर संदेह हुआ, मैंने उसकी फ़ोटो सीनियर DCM को भेज दी. बाद में पता चला वो 70 वर्ष से ज़्यादा का है और ऐसा मुफ़्त खाने के लिए करता है.’
गुंतकल रेलवे स्टेशन पर उसे पकड़ा गया और उसके अपराध कबूलने का वीडियो बनाया गया. वीडियो में उसने बताया कि वो पंजाब से है और मानसिक रूप से अस्थिर है और उसे ब्लड कैंसर भी है. जब अधिकारियों ने उससे पूछा कि वो खाने में क्या डालता है, तब उसने बताया कि वो एक मछली इस्तेमाल करता है, जो कि एक आयुर्वेदिक मछली है, जो दिमाग के इलाज़ के लिए दवा के तौर पर अपने पास रखता है. उसने ये भी बताया कि उसके पिता भी रेलवे में सीनियर DCM थे.
अधिकारियों ने उसे बिना किसी कार्यवाई के छोड़ दिया, बदले में उसने आश्वासन दिया कि वो आगे से ऐसा काम नहीं करेगा. अधिकारियों ने सुरेंद्र पाल को समझाया कि ऐसी हरकतों से रेलवे की बदनामी होती है, और उसे ख़ास तौर पर रेलवे के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये उसके परिवार का जैसा था.
बता दें कि इस साल जुलाई तक रेलवे के पास यात्रियों से ख़राब खाने की वजह से 7,500 शिकायतें मिली हैं, जिसकी वजह से वेंडर्स के ऊपर 1.5 करोड़ का फ़ाइन लगाया गया है.