सालों के प्रयासों के बाद सेक्स वर्कर्स ने शुरू किया था पैड्स का इस्तेमाल, पर अब हो गयी हैं निराश

Komal

नए क़ानून के तहत सेनेटरी पैड्स पर 12 प्रतिशत GST लगने लगा है. एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स को इसक टेक्स की मार सीधे झेलनी पड़ रही है, इसके कारण, सेनेटरी पैड्स जैसी मूलभूत आवश्यकता भी उनकी पहुंच से बाहर हो गयी है.

कोलकाता में स्थित ये बस्ती हजारों सेक्स वर्कर्स का घर है. सालों के जागरूकता अभियानों के बाद इस इलाके की महिलाओं ने सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करना शुरू किया था. लेकिन नयी टेक्स प्रणाली के चलते वो इसे छोड़ने को मजबूर हो गयी हैं.

DMSC की अधिकारी समरजीत जाना ने बताया कि साल 2000 में केवल 20% सेक्स वर्कर ही सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करती थीं. ये दर बढ़ कर अब 85% हो गयी है.

हर महीने उषा बैंक के काउंटर से 60-70 हज़ार पैकेट्स पैड्स ख़रीदे जाते हैं. दरबार महिला समवाय कमिटी से 1,30,000 सदस्य जुड़े हैं. दस साल से ये महिअलाओं को सेनेटरी पैड्स इस्तेमाल करने के लिए जागरूक कर रही है.

कॉन्डम से टेक्स हटने के बाद से इसका इस्तेमाल बाधा है और AIDS जैसी बीमारियां भी काबू में आई हैं.

नई कर व्यवस्था के तहत सैनिटरी नैपकिन पर लगे 12 फीसदी जीएसटी से सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स प्रभावित हो रही हैं. सैनिटरी नैपकिन पर लगे इस कर से वह पुराना समय लौट सकता है, जब सेक्स वर्कर्स नैपकिन का प्रयोग करने से कतराती थीं.

दरबार महिला समन्वय कमिटी के एक अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य और सफ़ाई के बारे में लगातार चलाए गए जागरूकता अभियान के बाद महिलाओं ने 10 साल पहले सैनिटरी पैड का उपयोग करना शुरू किया था, लेकिन सैनटरी नैपकिन के दाम बढ़ने से सारे अच्छे कार्य खत्म होने की आशंका पैदा हो गई है.

सोमा नाम की 34 वर्षीय सेक्स वर्कर ने बताया कि वो दो बच्चों की मां है. अगर दाम बढ़ते हैं, तो वो सेनेटरी पैड्स इस्तेमाल करना छोड़ देगी. 
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