केंद्र सरकार ने देश में महिलाओं के उत्थान की दिशा में एक अहम फ़ैसला लिया है. सरकार ऑफ़िस में यौन शोषण की शिकायत करने वाली महिला को 90 दिन की पेड लीव यानि देने का प्रावधान करने जा रही है. शिकायतकर्ता महिला को ये लीव उस समय तक मिल सकती है, जब तक मामले की जांच पेंडिंग है. केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए इस नए नियम का ब्लू प्रिंट तैयार हो गया है.
यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने वाली महिला 90 दिन तक का अधिकतम अवकाश ले सकती है. इस दौरान उसे पूरी सैलरी भी मिलेगी. ख़ास बात ये है कि पीड़िता को दी गई छुट्टियां उसके खाते की निर्धारित छुट्टियों में से नहीं काटी जाएंगी. इस मामले में डीओपीटी ने हाल ही में ज़रूरी बदलाव भी किए हैं.
ये नियम इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं कि यौन शोषण से पीड़ित महिलाओं को धमकियां दी जाती हैं और उन्हें बयान बदलने पर मजबूर किया जाता है. कुछ महिलाओं ने ये भी शिकायत दर्ज कराई है कि मामले की जांच के दौरान उन्हें धमकियां मिलती हैं और उन्हें ऑफ़िस आने में ख़तरा महसूस होता है. इन सब शिकायतों को देखते हुए ही ये कदम उठाया गया है.
हालांकि, इस नियम में एक प्रावधान यह भी है कि ये अवकाश आंतरिक कमेटी की सिफ़ारिश के आधार पर ही दिया जाएगा. इसके अलावा आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमिटी का गठन भी किया जाएगा.
इससे पहले दिसंबर 2016 में भी डीओपीटी ने कार्यस्थल या प्रोफ़ेशनल जगहों पर यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं के मामलों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे. इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक, 30 दिनों में केस की जांच पूरी करने की बात कही गई थी. ये भी कहा गया था कि किसी भी सूरत में शिकायत किए जाने के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी हो जानी चाहिए.