राजेश ओरांग: गलवान घाटी में शहीद हुआ वो जांबाज़ जिसके कंधों पर थी पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी

Sanchita Pathak

बीते सोमवार को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई मुठभेड़ में भारत के 20 जवान शहीद और कई घायल हो गये. इन 20 सैनिकों में से एक थे राजेश ओरांग. 

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एक रिपोर्ट के अनुसार, राजेश अपने परिवार से मिलने पिछले महीने घर जाने वाले थे लेकिन लॉकडाउन की वजह से उन्हें रुकना पड़ा और अब उनका परिवार उनके तिरंगे में लपटे शव की प्रतीक्षा कर रहा है.  

पश्चिम बंगाल के बीरभूम के राजेश, 16 बिहार रेजिमेंट के जवान थे. राजेश पिछले 6 साल से सेना में थे. कुछ दिनों पहले ही राजेश के रेजिमेंट को गलवान घाटी में तैनात किया गया था. राजेश के चचेरे भाई,देवाशीष ने India Today से बात-चीत में बताया कि राजेश के लिए वधू की तलाश की जा रही थी. राजेश के पिता किसान हैं. 

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चीनी सैनिकों से मुठभेड़ के बाद बीते मंगलवार को राजेश को अस्पताल में भर्ती किया गया था. मंगलवार शाम तक उनके परिवार को उनकी शहादत की ख़बर मिली.

India Today की रिपोर्ट के मुताबिक़, राजेश के पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी राजेश पर ही थी. उनके पिता बेहद बीमार हैं और काम-काज नहीं कर पाते. राजेश की बहन की भी शादी होनी थी. राजेश की आय पर ही पूरे परिवार का ख़र्च चलता था.   

राजेश के भाई ने सरकार से मदद की अपील की है. 

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