बेहद दुखद! तीन भाई-बहनों को अंधेरे कमरे में बंद करके रखा गया था, 10 साल बाद मिली आज़ादी

Sanchita Pathak

अक्सर हमारे सामने ऐसी ख़बरें आती हैं जहां इंसान ही वहशी दरिंदा बन जाता है और हैवानियत की हदें पार कर देता है. मानिसक स्वास्थय ठीक न होने के नाम पर आज भी देशभर में कई घरों के अंधेरे कमरे में ज़िन्दगियों को बांधकर रखा जाता है.  

एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली कहानी गुजरात के राजकोट से आई है. India Today की रिपोर्ट के अनुसार, राजकोट के एक घर से तीन भाई-बहनों, अमृश मेहता(42), मेघना मेहता(39), भावेश मेहता(30) को छुड़ाया गया है. तीनों शिक्षित हैं और इनके पास यूनिवर्सिटी की डिग्रियां हैं.  

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पिता का कहना है कि मां की मौत के बाद इन तीनों ने ख़ुद को कमरे में बंद कर लिया था, वहीं लोगों का कहना है कि इन तीनों का पिता अंधविश्वासी है और उन्हें काले जादू से बचाने के लिए अपने परिवार को बंद करके रखा था.

तीनों बंदी बनाकर रखे गये भाई-बहनों को एनजीओ ‘साथी सेवा ग्रुप’ ने खोजा. ये संस्था बेघर लोगों की सहायता करती है. इस एनजीओ को किसी ने तीनों भाई-बहन के बारे में जानकारी दी थी. बीते रविवार शाम को जब एनजीओ के लोगों ने किशनपुरा स्थित उनके घर का दरवाज़ा तोड़ा और उन्हें एक अंधेरे कमरे में पाया. इस कमरे से बासी खाने, इंसान के मल की बदबू आ रही थी.  

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थोड़ी देर बाद पिता, नवीनभाई मेहता मौक़े पर पहुंचे और उसका कहना था कि तीनों 10 साल से ऐसे ही रहते हैं, मां की मौत के बाद तीनों ने ख़ुद को बंद कर लिया था. नवीनभाई ने बताया कि अमृश के पास BA, LLB की डिग्री थी और वो पेशेवर वक़ील था, मेघना के पास MA Psychology की और सबसे छोटे भावेश के पास BA Economics की डिग्री थी और वो उभरता क्रिकेट खिलाड़ी था. 

नवीनभाई का कहना था कि वो तीनों के कमरे के बाहर खाना रख कर जाते थे. पिता का ये भी कहना था कि तीनों पर किसी रिश्तेदार ने काला जादू कर दिया था.  

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तीनों की हालत बेहद ख़राब थी, तीनों कुपोषित थे और उनकी बाल-दाढ़ी बढ़ी हुई थी. अभी तक किसी ने पुलिस में शिकायत नहीं दर्ज करवाई है और एनजीओ के एक सदस्य ने आश्वासन दिलाया है कि तीनों का ख़याल रखा जाएगा. 

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