कुछ दिनों से ट्विटर और न्यूज़ चैनेल्स पर ये ख़बर चल रही थी कि उत्तर प्रदेश के रामपुर के एसपी ने 7 मई को अगवा किए गए एक बच्ची के रेपिस्ट को एनकाउंटर में गोली मारी है.
सोशल मीडिया पर रामपुर के एसपी, अजयपाल शर्मा को उनकी बहादुरी के लिए सराहा जाने लगा. देशभर के पुलिसवालों को उनसे सीख लेने की हिदायतें भी दी जाने लगी. अजयपाल ने ट्वीट करके सभी समर्थकों का शुक्रिया भी किया.
पर ये पूरी कहानी नहीं है. गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 मई 2019 को गायब हुई बच्ची का डेढ़ महीने तक कोई पता नहीं चला. 22 जून को देर रात पुलिस को पता लगा कि नाज़िल (आरोपी) ने बच्ची का अपहरण कर, रेप किया और हत्या कर दी. आरोपी आश्रम पद्धति स्कूल के पास मज़ार के सामने खड़ा था.
टिप मिलने के बाद पुलिस टीम वहां पहुंची और घेराबंदी की. पुलिस से बचने की कोशिश में आरोपी नाज़िल ने गोली चलाई थी. जवाब में पुलिस ने फ़ायरिंग की लेकिन फ़ायर करने वाले अजयपाल शर्मा नहीं थे.
The Lallantop की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 22 जून को ही मृतक बच्ची का लगभग पूरी तरह सड़ चुका शव मिला. वो भी कुछ लड़कों की वजह से, जो पतंग ढूंढते हुए उस स्थान पर पहुंच गए, जहां बच्ची का शव फेंका गया था.
इसी रिपोर्ट के मुताबिक, एसपी अजयपाल शर्मा गोलीबारी की ख़बर सुनकर मौके पर पहुंचे थे. जिस थाने में ये पूरा मामला दर्ज है वहां के थानाध्याक्ष ने The Lallantop से बातचीत में कहा कि अजयपाल शर्मा ने गोली नहीं चलाई.
पुलिस और रेपिस्ट के बीच हुई गोलीबारी के दौरान वहां रामपुर एसपी अजयपाल शर्मा मौजूद नहीं थे. The Lallantop से बातचीत में एसपी साहब ने भी ये बात स्वीकारी है.
एक बच्ची लापता हो जाती है और इसके तकरीबन डेढ़ महीने बाद रेपिस्ट का पता चलता है. ये उत्तर प्रदेश की लचर व्यवस्था की ओर ही इशारा करता है. अलीगढ़ में जिस 2 साल की बच्ची की हत्या पर पूरा देश न्याय मांग रहा था, उस केस में भी पुलिस की ढिलाई सामने आई थी.