महीनेभर कमरतोड़ मेहनत, ओवरवर्कक (Over Work) करने के बाद जब अकाउंट में सैलरी क्रेडिट होती है तो दुनिया के लगभग हर शख़्स को यही लगता है ‘खोदा पहाड़ और निकला चूहा!’
2020 में एक कंपनी के CEO ने यही किया. Norway Today के एक लेख के मुताबिक़, Mental Therapy Company ‘Spill’ के CEO, Calvin Benton ने अपनी कंपनी के हर एक कर्मचारी को एक बराबर सैलरी दी, यहां तक कि ख़ुद भी उतनी ही सैलरी ली.
Spill के बारे में कुछ बातें
Spill एक ऑनलाइन मेंटल थेरेपी (Online Mental Therapy) और काउंसिलिंग सर्विस (Counselling Service) है. इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य है दूसरी कंपनी में काम कर रहे लोगों की मदद करना, फिर चाहे वो काम से जुड़ा स्ट्रेस हो या अवसाद या कोई और मानसिक बीमारी. लंदन की ये कंपनी 100 से UK के ज़्यादा कंपनियों के साथ काम करती है और कंपनी में 10 कर्मचारी थे.
ये था Experiment
Spill में Benton ने सबको एक बराबर सैलरी देनी शुरू की. Spill ने बताया कि एक्सपेरिमेंट के समय कंपनी में 5 कर्मचारी थे और एक्सपीरियंस को न देखते हुए सभी को बराबर सैलरी, GBP 36,000 सालाना (लगभग 36,31,536 लाख रुपये) दिए गये. ये सैलरी लंदन में रहने के हिसाब से दी गई.
फिर शुरू हुई समस्या
कंपनी ग्रो (Grow) करने लगी और अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में कर्मचारियों की नियुक्ती होने लगी. सेल्स से लेकर सॉफ़्टवेयर का काम करने वाले को GBP 36,000 ही दिया जा रहा था. Benton के मुताबिक़, सॉफ़्टवेयर डेवेलपर्स (Software Developers) की काफ़ी मांग है और वो GBP 36,000 से ज़्यादा सैलरी लेते हैं. सेल्स के लोगों को कमिशन के आधार पर ही सैलरी मिलती है. हमारे कंपनी का सैलरी मॉडल दोनों में से किसी को सही नहीं लगा. Benton को सॉफ़्टवेयर के काम के लिए अनुभवी लोग नहीं मिल रहे थे. सेल्सपर्सन सेल्स टारगेट के हिसाब से सैलरी मांगने लगे और ये कहने लगे कि फ़िक्स्ड सैलरी उनको सही नहीं लग रही.
इस एक्सपेरिमेंट के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में बताइए.