अनंतनाग में 20 साल का एक टॉपर स्टूडेंट और टैलेंटेड फुटबॉलर मां-बाप को छोड़ कर बन गया आतंकी

Sumit Gaur

युवाओं को बरगला कर अकसर उन्हें गलत रास्ते पर भेजने की घटनाएं सामने आती रही हैं. ऐसी ही एक ख़बर कश्मीर से आ रही है, जहां 20 साल का मजीद खान ऐसी गलत संगत में पड़ा कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन को ही ज्वाइन कर लिया. हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक मजीद एक बेहतरीन फुटबॉलर था, जो अनंतनाग के सरकारी कॉलेज में सेकंड इयर का छात्र था. स्कूल के दिनों से ही मजीद पढ़ाई के साथ-साथ अपने फुटबाल खेलने के अंदाज़ के लिए पहचाना जाता था. यहां तक कि उसने दसवीं और बाहरवीं की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद कॉलेज का रुख़ किया था.

मजीद के बारे में ये खबर आने के बाद से ही उसके घर में मातम का माहौल है. उसकी मां आयेशा रोते हुए लगातार कह रही हैं कि ‘मुझे सिर्फ़ मेरा बेटा चाहिए…मजीद बेटा वापिस आ जा. अगर जाना ही चाहता है, तो पहले मुझे और अपने पिता को मार दे फिर चले जाना.’ मजीद के पिता इरशाद अहमद खान एक सरकारी कर्मचारी हैं और दिल के मरीज हैं. मजीद के बारे में ख़बर मिलते ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया था. वो भी सबसे बस एक ही अपील करते हुए दिखाई देते हैं कि ‘मुझे बस मेरा बेटा लौटा दो.’

firstpost

मजीद के साथ ही पढ़ने वाले उसके एक रिश्तेदार का कहना है कि ‘मजीद का ब्रेनवाश कर उसे भटकाया गया है.’ मजीद के परिवार में दो बहने और हैं, जिनकी शादी हो चुकी है. मजीद के बारे में जैसे ही उन्हें सूचना मिली कि वो आतंकियों के साथ चला गया है वो भी शहर छोड़कर अनंतनाग आ गई हैं.

उसकी एक बहन का कहना है कि ‘देर रात तक मजीद के न आने से हम सब परेशान थे. घरवाले बार-बार उसे फ़ोन कर रहे थे, पर उसका मोबाइल ऑफ़ आ रहा था. इसके बाद हमें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मजीद की एक तस्वीर के बारे में पता चला, जिसमें वो आतंकियों के साथ दिखाई दे रहा है.’ वो आगे बताती हैं कि ‘मजीद 10वीं और 12वीं, दोनों में ज़िले का टॉपर रहा है. सोशल मीडिया पर उसके दोस्त भी उससे लौट आने की अपील कर रहे हैं.

लोगों का मानना है कि मजीद के स्वभाव में ये बदलाव दोस्त यावर निसार की मौत से आया, जो जुलाई में एक आतंकी संगठन से जुड़ गया था. निसार की मौत पिछले महीने सेना के साथ हुई गोलीबारी में हो गई थी. नाम न बताने की शर्त पर मजीद के एक दोस्त ने बताया कि ‘वो दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और निसार की मौत के बाद मजीद कई दिनों तक उसकी तस्वीर के सामने रोता रहता था.’

अनंतनाग के SP अल्ताफ़ अहमद खान का कहना है कि ‘मैंने परिवार से बात की, वो अपने बच्चे के लिए लगातार रो रहे हैं. मैं खुद भी मजीद से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहा हूं. ये हमारी ज़िम्मेदारी भी है कि हम भटक चुके बच्चे को वापिस सही रास्ते लाएं.’ 

स्थानीय अख़बार की मानें, तो इस साल कश्मीर में 170 से भी ज़्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं, जबकि जुलाई से सितम्बर तक कम से कम 41 युवा आतंकी संगठनों को ज्वाइन कर चुके हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे