बेंगलुरु के छात्रों ने ह्रदय रोग से पीड़ित नवजातों के इलाज के लिए सोशल मीडिया से जुटाए 20 लाख रुपये

Abhishek

भारत में लाखों बच्चे जन्म के समय से ही दिल की बीमारियों से जूझ रहे होते हैं. इन बच्चों के हार्ट में डिफ़ेक्ट होता है. हर साल 1.6 लाख बच्चे जन्मजात हार्ट पेशेंट होते हैं, जिनमें से करीब 78,000 शिशुओं की मृत्यु हो जाती है.

ऐसा पाया गया है कि जिन बच्चों की ह्रदय संबधी बीमारियों की वजह से मौत होती है, उनमें से 33 प्रतिशत मामलों में उनकी जान बचाई जा सकती थी. मरने वाले बच्चों में अधिकांश उन परिवारों के बच्चे होते हैं, जो ग़रीबी रेखा से नीचे आते हैं.

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दिल्ली पब्लिक स्कूल, बेंगलुरु, नार्थ (DPSBN) ने ऐसे ही ग़रीब परिवारों के बच्चों की मदद करने के लिए एक अभियान चलाया. इस अभियान का नाम था DPS Big Hearts. इस काम में FuelADream नाम की एक ऑनलाइन वेबसाइट ने भी स्कूल की मदद की, जिसकी वजह से 60 दिनों के अन्दर ही 20 लाख रुपये इकट्ठे कर लिए गए.

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9 से 12वीं क्लास तक के हर बच्चे ने ऑनलाइन कैम्पेन चला कर, 40,000 रुपये जुटाने का प्लान बनाया, जिससे उन बच्चों का इलाज हो सके. स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स के लिए ये काफ़ी मुश्किल काम था.

हार्ट सर्जरी कराना आज भी देश में सस्ता नहीं है. घर-घर जा कर पैसे इकट्ठे करने से ज़्यादा पैसे नहीं जुटाए जा सकते थे.

इसलिए बच्चों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. इनसे प्रभावित होकर कुछ अस्पताल इन बच्चों का ऑपरेशन करने के लिए मामूली ख़र्च पर ही तैयार हो गए. चंदा इकट्ठा करने में भी पारदर्शिता बरती गई. FuelADream ने लोगों के विश्वास को कायम रखा.

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इस कैम्पेन को रन करने वाले दसवीं के एक स्टूडेंट Crish Chengappa ने, महज़ पांच हफ़्तों में सोशल मीडिया की मदद से 2,00,500 रुपये इकट्ठा कर लिए. Crish Chengappa लगातार सोशल मीडिया पर लोगों से चंदा देने की अपील करते रहे. कुछ ऐसे लोग भी सामने आये जिन्होंने 44,000 रुपये अकेले देने की भी पेशकश की.

स्कूल की तरफ़ से चलने वाले इस कैम्पेन की मदद से दो महीने में 17 लाख रुपये इकट्ठे हो गए. इतने पैसे में लगभग 41 बच्चों की जान हार्ट सर्जरी से बचाई जा सकेगी. सोशल मीडिया के दम से ऐसे बच्चे जिनके पेरेंट्स उनका इलाज कराने में असमर्थ हैं, अब उनका इलाज कराया जाएगा.

इस स्कूल के स्टूडेंट्स को ग़ज़बपोस्ट की ओर से सलाम. 

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Article Source: Thebetterindia

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