जानते हो भारतीयों की जूतों में पहली पसंद Bata कंपनी भारत की नहीं, बल्कि विदेश की है

Kratika Nigam

Success Story Of Bata: Bata का जूता हर घर की पहली पसंद होता है. बच्चों को स्कूल जाना हो तो Bata का जूता ही पहनाया जाता है. इस कंपनी के जूतों ने भारतीय घरों में अपनी ख़ास जगह बना रखी है तभी तो ये सिर्फ़ जूते नहीं, बल्कि एक एहसास है. मगर क्या आप जानते हैं कि भारतीयों को पहली पंसद Bata का जूता भारतीय नहीं है. Bata कंपनी की शुरुआत 1894 में यूरोपियन देश चेकोस्लोवाकिया से हुई थी, जो ऑस्ट्रिया और हंगरी का हिस्सा था, जिसे अब चेक रिपब्लिक कहा जाता है.

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आइए जानते हैं विदेश की इस कंपनी ने भारत के बाज़ार में कैसे सफलता की कहानी (Success Story Of Bata) गढ़ी?

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Bata कंपनी की शुरुआत साल 1894 में चेकोस्लोवाकिया में हुई थी, जिसे टोमास बाटा (Tomáš Baťa) ने अपने भाई एंटोनिन (Antonín) और बहन ऐना (Anna) के साथ की थी. इसका नाम टी एंड ए बाटा शू कंपनी (T. & A. Baťa Shoe Company) रखा गया. इनकी फ़ैमिली में कई पीढ़ियों से जूते का काम किया जा रहा था. इसलिए तीनों भाई बहन ने मिलकर भी यही बिज़नेस किया. शुरुआत में 10 कारीगर के साथ काम शुरू किया गया.

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पैसों की कमी होने की वजह से कंपनी कैनवास शूज़ बनाने लगी क्योंकि कैनवास शूज़ सस्ते होने के साथ-साथ आरामदायक भी थे. इसलिए जब इनकी डिमांड बढ़ी तो टोमास अमेरिका से स्टीम से चलने वाली मशीन ले आए और कंपनी में काम धड़ल्ले से शुरू हो गया. 10 कारीगर से बढ़कर कंपनी में हज़ारों कारीगर काम करने लगे. पहला विश्व युद्ध आते-आते कंपनी यूरोप सहित मिडिल ईस्ट में अपनी साख जमा चुकी थी.

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मगर विश्व युद्ध ने सभी देशों की इकोनॉमी का हिला दिया, जिसका असर Bata कंपनी पर भी पड़ा. इसके चलते, कंपनी ने अपने जूते के दामों को आधा कर दिया. दाम आधा करने से कंपनी को नुकसान तो हुआ, लेकिन कर्मचारियों Bata के मालिक का बहुत साथ दिया और 40% कम सैलरी पर काम करते रहे. फिर कंपनी ने भी अपने कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनकी रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी ली. साथ ही, प्रॉफ़िट में भी हिस्सा दिया. समय बीता और Bata जूते की मार्केट में बादशाह बन गया.

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टोमास बाटा साल 1920 में भारत आए तो उन्होंने देखा कि यहां पर रबर और लेदर दोनों सस्ते हैं, लेकिन यहां पर लोग ज़्यादातर नंगे पैर ही घूमते हैं. ये देखकर इन्होंने 1931 में फ़ुटवियर की एक फ़ैक्ट्री कलकत्ता के कोंनगर में डाली, जिसमें कैनवास शू और रबर वाले जूते बनाए जााने लगे. लोगों के ये जूते पसंद आने लगे, जिससे डिमांड बढ़ने लगी डिमांड बढ़ी तो प्रोडक्शन बढ़ाया गया. इतनी ज़्यादा मांग होने के चलते कुछ सालों में यहां बाटानगर नाम से शहर बस गया. आज कंपनी में 20 ज़्यादा ब्रांड्स और लेबल्स शामिल हैं.

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1920 के दशक में Bata ने भारत में हर हफ़्ते 3500 जोड़ी जूते बेचे थे, उस समय कंपनी ने 4000 लोगों को रोज़गार दिया था. भारतीयों का भरोसा जीतकर ही Bata भारतीयों की पहली पसंद बनी है.

आपको बता दें, Bata के दुनियाभर में 70 से अधिक देशों में 5,300 स्टोर्स हैं, जिनमें 32,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं और 21 उत्पादन सुविधाएं हैं.

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