Success Story of Govind Dholakia Indian Diamond Tycoon in Hindi: किसी ने बहुत सही बात कही है कि, “अगर आपके अंदर कामयाब होने का संकल्प मज़बूत है, तो असफलता कभी आपको डरा नहीं सकती है.”
देश ही नहीं विश्व की कई बड़ी हस्तियां का जीवन अगर आप खंगाले, तो आपको उनके कठिन दिनों का संघर्ष ज़रूर नज़र आएगा. आप जान पाएंगे कि छोटे स्तर से शुरू करके इंसानों ने कैसे अपनी किस्मत चमकाई. ये इसलिए ये सब कर पाएं, क्योंकि इन्हें कुछ बड़ा करना था.
कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी गुजरात के Diamond Tycoon गोविंद ढोलकिया की है, जिन्होंने डॉयमंड पॉलिश से लेकर देश के एक बड़े हीरे के व्यापारी तक का सफ़र तय किया. वो ये सब कैसे कर पाए, ये हम आपको इस ख़ास ख़ास लेख में बताएंगे.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं गोविंद ढोलकिया की सफलता (Success Story of Govind Dholakia in Hindi) की कहानी.
डायमंड पॉलिश से शुरू किया सफ़र
Success Story of Govind Dholakia in Hindi: गोविंद ढोलकिया का जन्म सुरत के एक ग़रीब किसान परिवार में 7 नवंबर 1947 को हुआ था. जानकारी के अनुसार, घर की आर्थिक हालत ठीक न होने की वजह से उन्हें घर चलाने के लिए 7वीं में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी और बड़े भाई भीमजी के साथ 1964 में हीरे की पॉलिशिंग का काम शुरू कर दिया था. गोविंद ढोलकिया के सात भाई-बहन हैं.
एक डॉयमंड पॉलिशर के रूप में उन्होंने कई साल तक काम किया और कड़ी मेहनत की. इसके बाद उन्होंने कुछ अपना व्यवसाय खड़ा करने का सोचा और 12 मार्च 1970 को अपने दोस्त के साथ मिलकर हीरों का अपना कारखाना शुरू कर दिया.
जीवन का पहला व्यापार
Indianexpress के अनुसार, 1970 में उन्होंने श्री राम कृष्णा एक्सपोर्ट्स (SRK) की स्थापना की जो कि दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड क्राफ़्टिंग और एक्सपोर्ट कंपनी है. गोविंद ढोलकिया की आत्मकथा “Diamonds Are Forever, So Are Morals” में उन्होंने अपनी कई अनकही बातों को जगह दी है. इस किताब में लिखा है कि जनवरी 1970 के आखिरी रविवार को एक क्रिस्टल बॉल पढ़ने की दुकान पर जाने के बाद ढोलकिया ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया – कच्चे हीरों को चमकाने का काम.
अपने पहले व्यापार को याद करते हुए वे कहते हैं, “हम बाबूभाई ऋखचंद दोशी और भानुभाई चंदूभाई शाह के कार्यालय में गए. उन्होंने एक कैरेट की क़ीमत 91 रुपये बताई, लेकिन दस कैरेट की न्यूनतम ख़रीद करनी थी यानी 910 रुपये और 10 रुपये का ब्रोकरेज़ जोड़ना पड़ा.“
ढोलकिया के पास केवल 500 रुपये थे और बाकी की रकम घर पहुंचकर देने को कहा.
ढोलकिया याद करते हुए कहते हैं, “समस्या ये थी कि घर में पैसा नहीं था. मेरे पास जो कुछ भी था वह मेरी जेब में था. हालांकि, मैं इस मौक़े को गंवाना नहीं चाहता था. इसलिए, मैंने तुरंत 500 रुपये का भुगतान कर दिया.”
बाकी 420 रुपये देने के लिए वो अपने मित्र वीरजीभाई के घर गए. वीरजीभाई ने तुरंत अपनी पत्नी को बुलाया और उसे ढोलकिया को 200 रुपये देने को कहा जो उसके पास घर के ख़र्च के लिए थे. फिर वीरजीभाई अपने पड़ोसी के पास गए और 200 रुपये उधार ले लिए. इसके बाद उन्होंने अपने बटुए में 20 रुपये जोड़े और ढोलकिया को दे दिए.
ढोलकिया ने तब जाकर बाकी के 420 रुपये दिए और अपने जीवन का पहला व्यापार किया. वे कहते हैं, ”लगभग एक हफ़्ते के बाद हमने पॉलिश किए हुए हीरे बाबूभाई को 10 फ़ीसदी मुनाफ़े पर बेच दिए. वे हमारे काम से बहुत खुश हुए और हमें जितने कच्चे हीरे चाहिए थे देने लगे.”
दिल खोलकर करते हैं चैरिटी
Success Story of Govind Dholakia in Hindi: गोविंद ढोलकिया की वेबसाइट पर जाएं, तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने पूरे दिन का समय अलग-अलग कामों के लिए डिवाइड किया हुआ है. वो सुबह 7 से 10 बजे का समय ख़ुद को देते हैं, जिसमें वो पूजा-आराधना भी करते हैं. इसके बाद 10 से 12 बजे तक का समय समाज सेवा के लिए रखा हुआ है. उनके समाज सेवा केंद्र का नाम है “Relief center”. दूसरों की सेवा करके वो ख़ुशी का अनुभव करते हैं.
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इसके बाद वो 12 से शाम 7 बजे तक अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. उनका मानना है कि टीम के हर सदस्य की हिम्मत टीम से है. वहीं, 7 से 11 तक का समय वो अपने परिवार वालों के साथ बिताते हैं.
इसके अलावा, वो अपने कर्मचारियों को महंगे गिफ़्ट भी देते हैं.
गोविंद ढोलकिया की नेटवर्थ
Success Story of Govind Dholakia in Hindi: Tripplezerobillionaires की मानें, तो गोविंद ढोलकिया की नेटवर्थ 38 मिलियन डॉलर है यानी क़रीब 279 करोड़. वहीं, उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 7 हज़ार करोड़ है.
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