Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi: ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई बहुत ज़रूरी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जो कम पढ़ा लिया है या जिसने पढ़ाई ही नहीं कि है वो ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकता है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण है सत्यनारायण नुवाल (Satyanarayan Nandlal Nuwal in Hindi), जिन्होंने सिर्फ़ 10वीं तक पढ़ाई कि लेकिन आज अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने (Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi) करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है. Forbes के अनुसार, उनकी नेट वर्थ 2 बिलियन डॉलर यानी क़रीब 16,538 करोड़ है.
आइये, विस्तार से जानते हैं आख़िर कैसे सत्यनारायण नुवाल (Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi) ने खड़ा किया अपना करोड़ों का साम्राज्य.
10वीं तक की पढ़ाई
Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi: सत्यनारायण नुवाल ₹35,800 करोड़ की सोलर इंडस्ट्री के अध्यक्ष हैं. इनकी कंपनी औद्योगिक विस्फोटक (Industrial Explosives) और गोला-बारूद निर्माता कंपनी है, जिसकी स्थापना उन्होंने 1995 में की थी. कंपनी की उपस्थिति 65 देशों में है और ये औद्योगिक विस्फोटक और विस्फोटक के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है.
सत्यनारायण नुवाल (Founder of Solar Industries India in Hindi) के जीवन पर बात करें, तो उनका जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. जानकारी के अनुसार, वो केवल 10वीं तक ही पढ़ पाए थे.
जब नुवाल छोटे थे, तो वो स्कूल के बाद दादा की परचून की दुकान में उनकी मदद के लिए चले जाया करते थे.
1 हज़ार से शुरू किया बिज़नेस
Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi: मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सत्यनारायण नुवाल की शादी 19 साल में हो गई थी. वहीं, शादी की नई ज़िम्मेदारी की वजह से उन्हें राजस्थान से महाराष्ट्र के बल्लारशाह आना पड़ा.
यहां नुवाल की मुलाक़ात अब्दुल सत्तार अल्लाह भाई से हुई, जिनके पास एक विस्फोटक लाइसेंस और एक मैगज़ीन (वे स्थान जहां गोला-बारूद और अन्य विस्फोटक) रखे जाते हैं) थी, लेकिन सक्रिय रूप से व्यवसाय नहीं कर रहे थे. 1970 के दशक में भारत अभी भी एक लाइसेंस राज शासन में था, जिसका अर्थ था कि मैगज़ीन लाइसेंस प्राप्त करना कठिन था.
नुवाल उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि, “तब विस्फोटकों की कमी थी और मुझे पता चला कि अब्दुल सत्तार के पास लाइसेंस होने के बावजूद वो कारोबार नहीं कर रहे थे.” नुवाल एक हज़ार रुपए देकर अब्दुल सत्तार के लाइसेंस का उपयोग करते हुए धंधा करने लगे.
नुवाल के पास उस वक़्त एक हज़ार रुपए भी नहीं थे. वहीं, जब उन्होंने अब्दुल सत्तार से कहा कि मेरे पास अभी इतने पैसे नही हैं, तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं तुम क्वार्टरली मुझे दे देना. नुवाल के लिए शीर्ष पर पहुंचना आसान नहीं था, वो रेलवे स्टेशनों पर सोए हैं क्योंकि उनके पास कमरे का किराया देने के पैसे नहीं थे.
सबसे बड़े डिलर में से एक
Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi: समय के साथ जैसे-जैसे लोगों को पता चला कि नुवाल की मैगज़ीन यानी गोदाम किराए पर उपलब्ध है, तो जमा राशि बढ़ने लगी, क्योंकि ग्राहक गोला-बारूद के भंडारण की तलाश कर रहे थे, विशेष रूप से कोयला खदानों में उपयोग के लिए. उस समय गोला-बारूद का निर्माण काफ़ी हद तक ICI द्वारा किया जाता था और 1984 तक, नुवाल ने एक खेप एजेंट बनने के लिए अपने व्यवसाय का विस्तार किया. 1990 के दशक तक भारत में विस्फोटक व्यवसाय के सबसे बड़े डीलरों में से एक बन गए थे नुवाल.
शुरु किया विस्फोटकों का निर्माण
उन्होंने अपने प्यापार के लिए नागपुर को आधार बनाया. इस बीच उनकी नज़दीकता वेस्टर्न कोलफील्ड्स से बढ़ीं. वहीं, डीलर 250 रुपए में विस्फोटक ख़रीदकर बाज़ार में उन्हें 800 रुपए में बचते थे. धंधा बढ़िया चल रहा था.
लेकिन, सरकार ने डिलर्स को जब ज़्यादा पैसे देने शुरू कर दिए, तो प्रतिस्पर्धा बढ़ने लगी और इसलिए नुवाल को विस्फोटक बनाना शुरू करना पड़ा. 1995 में SBI से उन्होंने 60 लाख का कर्ज़ लेकर विस्फोटक निर्माण की छोटी यूनिट बनाई. वहीं, कोल इंडिया लिमिटेड उनका भरोसे वाला ग्राहक बना.
सोलर एनर्जी इंडस्ट्रीज़ में छलांग
Success Story of Satyanarayan Nuwal in Hindi: 1996 में जब उन्हें (Founder of Solar Industries India in Hindi) सालाना 6 हज़ार टन विस्फोटक बनाने का लाइसेंस मिला, तो उन्होंने इस बीच सोलर एनर्जी इंडस्ट्रीज़ में छलांग लगा दी. बता दें कि 2021-22 में 4 लाख टन सालाना की क्षमता के साथ नुवाल दुनिया के चौथे सबसे बड़े इंडस्ट्रीज़ विस्फोटक निर्माता और पैकेज्ड विस्फोटकों के सबसे बड़े निर्माता बन गए हैं. इनके यहां क़रीब 7500 लोग काम करते हैं. वहीं, नागपुर में उनके दो कारखाने हैं.