Titan घड़ी को किसने बनाया और इसकी नींव कैसे रखी गई, पूरी जानकारी ये रही

Kratika Nigam

Success Story Of Titan: एक समय थाा जब टाइटन घड़ियों का दौर था. 1960 और 80 के दशक में घड़ियों की कंपनी ने धमाका किया, जिसके चलते इस दशक को घड़ियों का दौर के लिए जाना जाता है. उस समय मार्केट में कई दिग्गज कंपनियां थीं, जिनमें से एक थी HMT. इनकी घड़ियां भी मार्केट में अपना सिक्का जमाए हुए थी, लेकिन इसी बीच HMT मांग ज़्यादा होने के चलते ग्राहकों को समय पर पर्याप्त घड़ियां मुहैय्या नहीं करा पा रही थी. इसी मौक़े के फ़ायदा उठाकर मार्केट में Titan घड़ी उतरी. टाइटन ने लोगों के बीच ऐसी जगह बनाई कि लोगों की पसंद के साथ उनके एहसास भी इस घड़ी से जुड़ गए.

Image Source: titan

ये भी पढ़ें: जानते हो भारतीयों की जूतों में पहली पसंद Bata कंपनी भारत की नहीं, बल्कि विदेश की है

आइए जानते हैं कि, वो कौन थे जिन्होंने मौक़े का फ़ायदा उठाया और टाइटन घड़ी के रूप में हम सभी को इतनी बढ़िया घड़ी पहनने का मौका दिया. टाइटन घड़ी की सफलता की कहानी (Success Story Of Titan) जानते हैं.

टाइटन की शुरआत टाटा ग्रुप ने की थी, लेकिन इसे सीधे टाटा ग्रुप से नहीं जोड़ा गया बल्कि Quester Investment नाम से एक छोटी सी कंपनी बनाई गई. इसके बाद, Quester Investment और Tamil Nadu Industrial Development Corporation ने साथ मिलकर Titan नाम की कंपनी शुरू की और मार्केट में एक से बढ़कर एक घड़ियां उतारी. जब घड़ियों की ये कंपनी चल गई तो इसे टाटा ग्रुप ने ख़रीद लिया. मगर टाटा ग्रुप के ख़रीदने से पहले जिसने इस घड़ी की नींव रखी उनका नाम Xerxes Desai है, जिन्हें टाइटन घड़ियों का जनक माना जाता है.

Image Source: outlookindia

1984 में टाटा समूह और तमिलनाडु कॉर्पोरेशन ने बैंगलोर, कर्नाटक में टाइटन का हैडक्वार्टर खोला. टाइटन ने भारतीय घड़ी बाज़ार का पूरा रूप ही बदल दिया. कंपनी मुख्य रूप से फ़ैशन एक्सेसरीज़ जैसे घड़ियां, ज्वैलरी और आईवियर बनाने लगी. टाइटन क्वार्ट्ज जैसी पेशकश के साथ कंपनी को इंटरनेशनल लेवल पर सिर्फ़ घड़ी से लगभग 45% का प्रॉफ़िट हासिल हुआ है. टाइटन दुनिया की छठी सबसे बड़ी घड़ी कंपनी है.

Image Source: titan

1987 में 15 एकड़ की ज़मीन लेकर तमिलनाडु के होसुर में एक फ़ैक्ट्री लगाई गई, जिसका नाम टाइटन रखा गया, जो टाटा ग्रुप और तमिलनाडु का शॉर्ट फ़ॉर्म था. कंपनी बनने के बाद घड़ी बनाने वाला भी कोई चाहिए था तो घड़ी बनाने की ज़िम्मेदारी अनिल मनचंदा ने ज़ेरेक्स देसाई को दी. वर्तमान में घरेलू घड़ियों में टाइटन की हिस्सेदारी 60% से अधिक है. ये दुनिया की टॉप 150 कंपनियों में शामिल है.

Image Source: outlookindia

फ़ैक्ट्री के बाद 1987 में ही बेंगलुरू के सफ़ीना प्लाज़ा में पहला शोरूम खोला गया. इसके बाद, इसकी जानकारी अख़बार में विज्ञापन के ज़रिए लोगों तक पहुंचाई गई, जिसके चलते सफ़ीना प्लाज़ा में घड़ी ख़रीदने के लिए ग्राहकों का बड़ा हुजूम उमड़ पड़ा. घड़ी की डिमांड को देखते हुए कंपनी ने बुकस्टोर, ज्वैलरी शॉप और रेस्टोरेंट में भी टाइटन घड़ी बेचनी शुरू की.

टाइटन के टीवी ऐड में जिस बैकग्राउंड म्यूज़िक का इस्तेमाल किया गया वो कहीं न कहीं आज भी हमारे दिलों में बसी है.

इसके अलावा, टाइटन ने समय-समयपर रीब्रांडिंग करके भी कंपनी को कुछ नया देने की कोशिश की है. सबसे पहला Logo सुदर्शन धीर ने 1987 में डिज़ाइन किया था, जो 3 दशकों तक नहीं बदला गया. इसके बाद, 2008 में दूसरा Logo बनाया गया फिर 2013 में तीसरा Logo जो आज तक चल रहा है.

पहला Logo, 1987

Image Source: wordpress

दूसरा Logo, 2008

Image Source: casereads

तीसरा Logo, 2013

Image Source: wikimedia

टाइटन ने शुरुआत कलाई घड़ी से की थी, लेकिन आज वो ज्वैलरी, परफ़्यूम, फ़ैशन, ड्रेस वियर और आई केयर की फ़ील्ड में भी अपनी छवि बना चुका है. हालांकि, इन सबमें सबसे ज़्यादा बिज़नेस घड़ियों, ज्वैलरी और चश्मों से आता है. आज टाइटन के पास 19 ब्रैंड हैं.

Image Source: businessworld

टाइटन के शेयर्स की बात करें तो टिडको के जरिए टाइटन में सबसे ज़्यादा 27.9% के साथ तमिलनाडु सरकार की हिस्सेदारी है. इसके बाद, टाटा संस की 21.4% हिस्सेदारी है. अगर बात की जाए तो, राकेश झुनझुनवाला की कुल सम्पत्ति में सबसे ज़्यादा योगदान टाइटन के शेयर का रहा है.

Image Source: titancompany

ये भी पढ़ें: कभी जंग लगे सामानों से बनते थे Adidas के जूते, जानिए कैसे तय किया एक बड़े Brand तक का सफ़र

आपको बता दें, वर्तमान में टाइटन कंपनी हर साल 1.6 करोड़ घड़ियां बना रही है, जिसके ग्राहक 32 देशों में है और टाइटन 5वीं सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड कंपनी है. साथ ही, रिटेल स्टोर्स की बात करें तो 2 हज़ार से ज़्यादा रिटेल स्टोर्स में 7 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं.

आपको ये भी पसंद आएगा
पिता बनाते हैं पंक्चर, मां ने सिलाई कर पढ़ाया… बेटे ने जज बन कर किया मां-बाप का नाम रौशन
पत्थर तोड़ने वाले मज़दूर ने निकाला UPSC एग्ज़ाम, आपको भी प्रेरित करेगी राम भजन की कहानी
मां बेचती थी चाय, पिता गार्ड, बेटे ने ISRO साइंटिस्ट बन Chandrayaan 3 मिशन में निभाई अहम भूमिका
IAS K Jaiganesh: कहानी उस वेटर की, जो 6 बार असफल हुआ पर हिम्मत नहीं हारी और पास की UPSC परीक्षा
बेमिसाल पत्नी! पहले गहने बेचकर पति को बनाया टीचर, फिर ख़ुद भी मेहनत से हासिल की सरकारी नौकरी
दिहाड़ी मज़दूरी करने वाली महिला ने पूरी की PhD, मिसाल है भारती के संघर्ष की कहानी