लाइट जाने से हम ही नहीं डॉक्टर्स भी परेशान होते हैं, इन बेचारों ने मोबाइल की लाइट में की सर्जरी

Rashi Sharma

हमारे देश में हॉस्पिटल की अनदेखी और डॉक्टर्स की लापरवाही के मामलों की संख्या में दिनों दिन इज़ाफ़ा हो रहा है. पिछले एक दो सालों में इस तरह के कई केसेज़ सामने आ चुके हैं, जिनमें कभी ऑपरेशन के दौरान मरीज़ की बॉडी में कैंची या सुई या छुरी छोड़ दी गई, या फिर ज़िंदा बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया, इतना ही नहीं जिस बॉडी पार्ट का ऑपरेशन नहीं होना है उसका ऑपरेशन किया जा रहा है. वहीं बड़े-बड़े हॉस्पिटल्स द्वारा गरीब पेशेंट्स को लाखों का बिल थमाया जाना भी आजकल खूब हो रहा है. इसलिए ये कहना ग़लत होगा कि आज की तारीख़ में हर कोई डॉक्टर्स और हॉस्पिटल्स से परेशान हैं क्योंकि पहले तो ये ग़लतियां करते हैं और उसके बाद उसे छुपाने की कोशिश भी करते हैं. सोचने वाली बात ये है कि अगर अब इंसान डॉक्टर्स पर भी भरोसा नहीं करेगा तो फिर किस पर करेगा.

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ख़ैर, आज हम आपको जो हॉस्पिटल की लापरवाही से जुड़े जिस मामले के बारे में बताने जा रहे हैं वो जानकर आप हैरान भी होंगे और सोचने पर भी मजबूर हो जाएंगे. ये मामला बीते शनिवार आंध्र प्रदेश के गुंटूर गवर्नमेंट हॉस्पिटल का है. यहां कुत्‍ते के काटने के बाद मरीज अपनी नाक की प्‍लास्‍ट‍िक सर्जरी कराने के लिए पहुंचा था, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि कैसे कुछ डॉक्टर्स से मोबाइल की टॉर्च की लाइट में ऑपरेशन टेबल पर लेते पेशेंट की सर्जरी करते हुए नज़र आ रहे हैं.

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हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के अनुसार, ‘जिस वक़्त ये सर्जरी चल रही थी उसी दौरान हॉस्पिटल में लाइट चली गई, हालांकि ऑपरेशन थिएटर के लिए एक अलग पावर बैकअप होता है लेकिन उसका फ़्यूज़ उड़ने से सिस्टम ख़राब हो गया था, पर 5 मिनट के अंदर ही उसे ठीक भी कर दिया गया था. ही ठीक कर लिया गया.’

वहीं इस बाबत डॉक्टर्स ने कहा कि जब लाइट गई तब सर्जरी चल रही थी इसलिए ऑपरेशन थिएटर में मौजूद डॉक्टर्स ने और नर्स में अपने-अपने मोबाइल्स की टॉर्च ऑन की और रौशनी की ताकि सर्जरी में कोई रुकावट न आये. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उस पेशेंट की नाक की प्लास्टिक सर्जरी चल रही थी उस वक़्त.

सर्जरी का ये वीडियो आप नीचे देख सकते हैं.

गौरतलब है कि ये कोई पहला मौका नहीं है, जब इस तरह का वाकया हुआ है, 2016 में ऐसा ही मामला हैदराबाद के गांधी हॉस्पिटल का भी आया था. जिसमें डॉक्टर ने माना था कि ऑपरेशन के बीच में लाइट जाने से मोबाइल टॉर्च की मदद से ऑपरेशन किया गया था.

पर यहां हम ये भी कहना चाहेंगे कि चलो ये तो लाइट की गड़बड़ी की वजह से हुआ, लेकिन इससे पहले गोरखपुर में ऑक्सीजन न मिलने से जो इतने बच्चों की जान गई वो किसकी लापरवाही थी. हॉस्पिटल एक ऐसी जगह है जहां हर सुविधा चाक-चौबंद होनी चाहिए कि किसी भी गलती की कोई गुंजाइश ही न रहे. हैरानी की बात तो ये हैं कि इस तरह के ज़्यादातर मामले देश बड़े-बड़े नामी गिरामी हॉस्पिटल्स या फिर सरकारी अस्पतालों से सामने आ रहे हैं, जहां लोग इसलिए जाते हैं ताकि उनका इलाज अच्छे से हो पाए.

Feature Image Source: Storypick

Source: storypick 

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