Swiggy Delivery Boy: आजकल फ़ूड डिलीवरी ऐप्स (Food Delivery Apps) ने ज़िंदगी को बहुत आसान बना दिया है. अगर घर बैठे बाहर का खाना खाने का मन है तो बस एक क्लिक पर वो मनपसंद चीज़ आपके दरवाज़े पर आ जाती है. आलस भरे दिनों में ये फ़ूड ऐप्स पेट भरने का अच्छा ज़रिया हैं. इसके अलावा, जिन्हें रेस्तरां जाना पसंद नहींं है वो इन फ़ूड ऐप्स के ज़रिये घर में ही रेस्तरां के खाने का आनंद उठा सकते हैं.
इन सभी सर्विसेस के लिए फ़ूड डिलीवरी ऐप्स लड़के और लड़कियों को काम पर रखते हैं जो आंधी हो बारिश, रात हो दिन, सर्दी हो या गर्मी हमारे लिए खाना लेकर आते हैं. जिन्हें कितनी भी ट्रैफ़िक हो खाना समय पर पहुंचाना होता है और ऐसा न होने पर कभी-कभी कस्टमर्स उनके साथ ग़लत व्यवहार भी करते हैं. तो कभी कुछ कस्टमर इनसे बड़े ही प्यार से पेश आते हैं. ऐसी ही एक कहानी आज आपको बताने जा रहे हैं.
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ये कहानी स्विगी डिलीवरी बॉय (Swiggy Delivery Boy) की है जिसकी एक कस्टमर ने ज़िंदगी ही बदल दी. ये कहानी आपके दिल को ज़रूर छू जाएगी.
दरअसल, इस कहानी को प्रियांशी चंदेल जो टेक कंपनी Flash में मार्केटिंग मैनेजर हैं उन्होंने Linkedin पर शेयर की है. उन्होंने बताया कि, एक स्विगी डिलीवरी एजेंट (Swiggy Delivery Agent) उनके आइसक्रीम के ऑर्डर को 30-40 मिनट की देरी से लाया था, जिसका नाम साहिल सिंह था.
प्रियांशी ने जब उससे देर से आने की वजह पूछी तो उसने बताया कि,
मैं आपका ऑर्डर लेकर 3 किमी पैदल चलकर आया हूं क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं हैं और ये मेरे फ़्लैटमेट की वजह से है जिसने मेरे बचे हुए पैसे भी ले लिए, जिससे मैं अपनी Yulu बाइक भी नहीं चार्ज करा पाया. यहां तक कि अब मैं -235 कर्ज में हूं. मेरे मकान मालिक को देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं. आपको लग रहा होगा कि मैं आपसे बातें बना रहा हूं आपको झांसा दे रहा हूं. ऐसा नहीं है मैं ECE Graduate हूं और मेरे पास इलेक्ट्रिकल और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की डिग्री है मैं Byju’s और Ninjacart जैसी कंपनियों में कर चुका हूं. कोविड के दौरान मेरी जॉब चली गई तो मैं अपने घर जम्मू चला गया था.
आगे बताया कि,
इस ऑर्डर की डिलीवरी के लिए भी मुझे केवल 20-25 रुपये मिलेंगे और मुझे 12 से पहले दूसरी डिलीवरी लेनी होगी, वरना वे मुझे कहीं दूर डिलीवरी के लिए भेज देंगे. मेरे पास बाइक नहीं है. मैंने एक हफ़्ते से खाना नहीं खाया है, सिर्फ़ पानी और चाय पी रहा हूं. मैं कुछ भी नहीं मांग रहा हूं. अगर आप मुझे नौकरी दिला सकती हैं तो दिला दीजिए. मैं पहले 25 हज़ार रुपये कमाता था. मैं 30 साल का हूं. मेरे माता-पिता बूढ़े हो रहे हैं और मैं उनसे पैसे नहीं मांग सकता.
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साहिल की आपबीटी सुनने के बाद प्रियांशी ने Linkedin के ज़रिये साहिल को नौकरी दिलाने में मदद करने के लिए कहा और Linkedin पर साहिल का ईमेल, मार्कशीट, सर्टिफ़िकेट और डाक्यूमेंट की तस्वीरें अपलोड कर दीं. उसने इंटरनेट यूज़र्स से अपील की,
अगर किसी के पास ऑफ़िस बॉय, एडमिन वर्क, कस्टमर सपोर्ट आदि के लिए कोई जॉब है, तो कृपया किसी को जॉब दिलाने में मदद करें!
कई लोगों ने साहिल को जॉब में मदद की तो कुछ लोगों ने उसकी Yulu बाइक को रिचार्ज करवाया तो किसी ने उसके यहां खाना पहुंचाया. इसके बाद, प्रियांशी ने एक अपडेट के ज़रिये बताया कि, डिलीवरी बॉय को नौकरी मिल गई है. उसने कहा, उसे नौकरी मिल गई !!! आगे आने वाले सभी लोगों का धन्यवाद, आप सभी कमाल के हैं.
ऐसी कहानियां प्रमाण हैं कि आज भी दुनिया में अच्छे लोग हैं जो दूसरों की मदद पूरी ईमानदारी से करने की कोशिश करते हैं.