वो था तो फ़ोटोग्राफ़र, लेकिन लोगों को मरता देख उसने फ़ोटो नहीं खींची… लोगों की जान बचाने भागा

Akanksha Thapliyal

1993 में New York Times में एक फ़ोटो छपी, जिसने पूरी दुनिया में बवाल मचा दिया. ये फ़ोटो थी एक सूडानी बच्ची की, जिस पर एक गिद्ध नज़र गड़ाए बैठा था. उस वक़्त सूडान सूखे की मार झेल रहा था, फलस्वरूप, वहां के कई बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे थे. इस बच्ची के मां-बाप, इसे अकेला छोड़ खाने की तलाश में कहीं गए थे. इस फ़ोटो को बाद में Prestigious, पुलित्ज़र पुरुस्कार भी दिया गया.

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इस फ़ोटो को खींचने वाले फ़ोटोग्राफ़र का नाम था Kevin Carter. उनकी फ़ोटो को पुरुस्कार मिलने के कुछ समय बाद Kevin Carter ने आत्महत्या कर ली.

फोटोग्राफ़रों पर हमेशा से ही ये इल्ज़ाम लगता रहा है कि वो अपने परफ़ेक्ट शॉट के चलते, कई बार इंसानियत भूल जाते हैं. Kevin के साथ भी यही हुआ.

लेकिन एक फ़ोटोग्राफ़र ने इसके उलट सीरिया में वो कर दिखाया, जिसे बूते ही इंसानियत ज़िन्दा है.

ये ख़बर आई कि सीरिया के लोगों को रेस्क्यू कर ले जारी रही बसों पर बम हमला हुआ, इसमें 126 लोग मारे जा चुके थे. घायल और मरने वालों में कई मासूम बच्चे भी थे. इस हादसे को कवर करने पहुंचे फ़ोटोग्राफ़र Abd Alkader Habak ने जब वहां का माहौल देखा, तो वो कैमरा छोड़ बच्चों को बचाने भागे. उस वक़्त उनके लिए कैमरा ज़रूरी नहीं था, बल्कि उस हादसे में ज़िन्दगी और मौत के बीच झूल रहे बच्चों को बचाना था.

Habak के साथ फ़ोटोग्राफ़र ने भी कुछ बच्चों को बचाया और फिर दोबारा अपने काम पर लग गए. उनका कहना था कि मैं इसलिए वापस कैमरे पर आ गया, क्योंकि मुझे पता था कि कोई है (Habak), जो ये काम कर रहा है. मेरे लिए इस पूरी घटना के Facts को सुरक्षित रखना भी ज़रूरी था.

Habak ने लाशों के ढेर में जिस पहले बच्चे को उठाया, वो अफ़सोस मर चुका था, दूसरे बच्चे की सांसें भी थम चुकी थीं. जैसे ही वो दूसरे बच्चे के पास गया, कोई ज़ोर से चिल्लाया, वहां मत जाओ, वो मर चुका है. लेकिन Habak ने जब उसे अपनी गोद में उठाया, उसकी सांसें चल रही थीं. वो लगातार Habak को देख रहा था. Habak ने उसे Ambulance के पास पहुंचा दिया, उसे नहीं पता कि वो बच्चा बचेगा या नहीं.

सीरिया में इस वक़्त क्या हो रहा है, ये सिर्फ़ तस्वीरों और ख़बरों से सामने आ रहा है. वहां असल में क्या हो रहा है, ये किसी को नहीं पता. दुनिया का हर देश यहां होती बर्बादी देख रहा है और उस पर राजनीति कर रहा है, लेकिन इन मासूम लोगों को मदद कोई रहा.

Habak जैसे लोग फिर भी थोड़ी बहुत कोशिश कर देते हैं.

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