देश के सरकारी गोदामों में है सरप्लस में अनाज, फिर भी देश का ग़रीब भूख से मर रहा है

Maahi

कोरोना संकट के बीच लोगों को लग रहा है कि देश में आने वाले दिनों में खाने-पीने की किल्लत हो सकती है. ऐसे में कई लोगों ने तो महीनों के लिए आटा, दाल, चावल और तेल ख़रीदकर स्टोर कर लिया है. इससे ख़ुदरा बाज़ार में खाने-पीने की कई चीज़ों की कीमतों में तेज़ी आई है. 

globalvillagespace

इसके उलट सरकारी आंकड़े की मानें तो आने वाले समय में देश के सरकारी गोदामों में पर्याप्त मात्रा में अनाज रहेगा. बावजूद इसके देश ग़रीब भूख से मर रहा है. संकट के समय में उसे सरकारी कोटे से मिलने वाला राशन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है. 

देश में जब लोग भूख से मर रहे हैं, ऐसे समय में सरकार ने अपने गोदामों में जमा होने वाले अनाज की मात्रा बढ़ा दी है. कोरोना संकट के दौरान ग़रीबों और भूखों को खिलाने के लिए अनाज भंडार का उपयोग करने के बजाय भारत सरकार इसे गोदामों में सड़ने दे रही है. 

indifoodbev

पिछले 4 महीनों में सड़ चुका है 65 लाख टन अनाज 

आंकड़ों के मुताबिक़, देश के सरकारी गोदामों में पिछले 4 महीनों में 65 लाख टन अनाज सड़ चुका है. इससे साफ़ पता चलता है कि भारत सरकार के पास अनाज को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उचित कोल्ड स्टोरेज भी नहीं हैं. इसके चलते देश में हर साल करोड़ों टन अनाज बर्बाद हो जाता है.

nationalviews

हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने देश में सरकारी कोटे से राशन लेने वाले लोगों के लिए एक साथ 6 महीने का राशन जारी करते हुए कहा था कि, भारत सरकार के गोदाम में पर्याप्त अनाज है. हमने राज्य सरकारों से कहा है कि वो राशन कार्ड धारकों को एक साथ 6 महीने का राशन दे दें. 

scroll

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने साथ ही कहा था कि, सरकार के पास इस वक्त 435 लाख टन सरप्लस अनाज है, जिसमें 22.19 लाख टन गेहूं और 162.79 लाख टन चावल शामिल है. 

सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में गेहूं और चावल के अलावा 30 लाख टन चीनी का बफ़र स्टॉक भी है. अगर दालों की बात करें तो हमारे पास दिसंबर 2019 में 16 लाख टन का स्टॉक था. जबकि साढ़े 8 लाख टन दाल का वितरण पहली ही कराया जा चुका है, बावजूद इसके बफ़र स्टॉक की मात्रा काफी है. मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, यूपी, बिहार समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों का नया गेंहू भी सरकारी गोदामों में आ चुका है, जिससे अनाज भंडार और भर गए हैं. 

counterview

भारत सरकार के गोदामों में अक्टूबर 2018 के बाद 1 मई 2020 तक अनाज के भंडारण में लगातार वृद्धि हुई है. नया गेंहूं आने के बाद अब सरकार के पास कुल 878 लाख टन अनाज है, जिसमें से 668 लाख टन अनाज सरप्लस में है. 

scroll

अब सवाल ये उठता है कि जब भारत सरकार के पास सरप्लस में अनाज है तो फिर देश का ग़रीब भूख से क्यों मर रहा है? क्या सरकार की उपभोक्ता प्रणाली के तहत ग़रीबों को कोई अधिकार दिए गए हैं?. सरकारी गोदामों में 4 महीनों में 65 लाख टन अनाज सड़ जाता है, लेकिन सरकार के पास ग़रीबों को राशन देने की योजना ही नहीं है. 

newsclick

देश के सरकारी गोदामों में इतनी बड़ी मात्रा में अतिरिक्त अनाज होने के बावजूद देश के ग़रीबों को 3 दिन में 1 रोटी भी नसीब हो पा रही है. ये कहां का न्याय, कहां का शासन और कहां की उपभोक्ता प्रणाली है? 

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे