ऑक्सीज़न के इंतज़ार में मरने वाले कोरोना संक्रमित पत्रकार के आख़िरी शब्द, ‘आईसीयू अच्छा नहीं है’

Abhay Sinha

किसी भी बीमारी को आपदा में तब्दील करने का नाम है लचर व्यवस्था. एक सड़ चुकी व्यवस्था सबसे ख़तरनाक महामारी होती है. ऐसी संक्रमित व्यवस्था की जद में आने वाले लोग एक बार नहीं बल्क़ि हर रोज़ तिल-तिल कर मरते हैं. कोरोना महामारी के दौर में हमने ये बख़ूबी देखा है.   

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ताज़ा उदाहरण हैदराबाद में एक पत्रकार की कोरोना संक्रमण से मौत का है. 33 साल के मनोज कोरोना वायरस की चपेट में आ गए. उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी. वो राजकीय गांधी हॉस्पिटल में बैठे थे और उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी. इस दौरान उनका परिवार चारों ओर मदद के लिए दौड़ रहा था. कुछ घंटों के बाद पुलिस ने मनोज की मौत की सूचना उनके परिवार को दी.   

एक पत्रकार की इस तरह बेबसी में मौत से लोगों का ग़ुस्सा तेलंगाना सरकार पर भड़क गया है. परिवार का आरोप है कि मनोज ने ख़ुद ही अपने मीडिया से जुड़े दोस्तों को कई कॉल किए, फिर कई घंटों बाद जाकर उन्हें आईसीयू में सिर्फ़ एक सीट मिल पाई.   

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उन्होंने आख़िरी मेसेज में अपने भाई को कहा, ‘आईसीयू अच्छा नहीं है प्लीज़ किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में जाओ.’ इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सांस लेने में तकलीफ़ के बावजूद उन्हें ऑक्सीज़न नहीं दी गई.   

मृतक के भाई ने बताया कि वो और उनके भाई दोनों ही कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें फ़ीवर अस्पताल से शिफ़्ट कर गांधी हॉस्पिटल के आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया था. स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक़, साईं को सोमवार को रिलीज़ कर दिया गया था.   

उन्होंने दावा किया है कि उन्हें और उनके भाई मनोज दोनों को ही अस्पताल में कागज़ी कार्यवाही के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें वॉर्ड में ले जाया गया जहां कोई डॉक्टर नहीं था. उन्होंने बताया कि जब मनोज को सांस लेने में तकलीफ़ हुई, तो वो वॉर्ड के बाहर डॉक्टर को देखने निकले, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें सुबह तक इंतज़ार करने के लिए कहा.   

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अगली सुबह मनोज ने अपने कई पत्रकार दोस्तों को कॉल किया, उन लोगों ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री समेत तमाम हेल्थ ऑफ़िशियल से बात की, तब जाकर उन्हें आईसीयू में जगह मिली. उसके बाद भी उन्हें एक व्हीलचेयर पर इंतज़ार करना पड़ा. सिर्फ़ इतना ही नहीं, साईं का आरोप है कि उनके भाई की मौत की सूचना उन्हें हॉस्पिटल से नहीं, बल्क़ि लोकल पुलिस से मिली.  

हालांकि, इस मामले पर राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने किसी षडयंत्र की आशंका जताई है. उनका कहना है कि, ‘कुछ मीडिया संगठन गलत सूचनाएं फैला रहे हैं और लोगों में दहशत और भ्रम पैदा कर रहे हैं.’  

मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करने के बाद सोमवार को एक बयान में अस्पताल के सीएमओ ने कहा, ‘गांधी अस्पताल में 2 हज़ार से अधिक रोगियों के इलाज की क्षमता है और वर्तमान में केवल 247 कोरोनावायरस रोगियों को भर्ती किया गया है.’  

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