तो क्या धरती का विकल्प मिल गया है? पृथ्वी से 16 प्रकाश वर्ष दूर इस ग्रह पर हो सकती है जीवन की संभावना

Vishu

‘मानव सभ्यता का जन्म पृथ्वी पर हुआ है पर उसका अंत धरती पर होने के लिए नहीं बना है.’

nerdist

क्रिस्टोफ़र नोलन को यूं ही एक Visionary निर्देशक नहीं कहा जाता. 2014 में आई Interstellar के ज़रिए वे बता चुके थे कि अगर हमारी धरती के हालात यूं ही बने रहे, तो हमें पृथ्वी का विकल्प तलाशने के लिए अनंत ब्रहांड में उतरना ही होगा. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु हमलों की संभावनाओं, दुनिया में तेज़ी से बढ़ती आबादी और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसे कई खतरे हमारे सामने मुंह बाए खड़े हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों की लगातार कोशिश बनी रहती है, एक ऐसे ग्रह को ढूंढने की, जहां पृथ्वी की तरह जीवन बसाया जा सके.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ टैक्सास Arlington (UTA) के Astrophysicists का मानना है कि धरती जैसा ही एक ग्रह महज 16 प्रकाश वर्ष दूर एक स्टार सिस्टम में मौजूद हो सकता है. इस खोज में एक भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल है.

इन वैज्ञानिकों ने स्टार सिस्टम Gliese 832 की जांच की. जांच का मकसद इस सिस्टम में मौजूद एलियन वर्ल्ड में Exoplanets को ढूंढना था. Exoplanets दरअसल वो ग्रह होते हैं जो हमारे सोलर सिस्टम से बाहर होते है. जांच में सामने आया कि इस स्टार से 0.25 से लेकर 2.0 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट की दूरी पर धरती जैसा ग्रह होने की भी संभावना है. इस ग्रह का विन्यास (Configuration) भी काफी स्थायी था. 

Gliese 832 एक Red Dwarf है, यानि एक ऐसा तारा जो छोटा है और इस जगह का तापमान भी सूरज की तुलना में ठंडा है. सूरज की तुलना में Gliese 832 का Mass आधा है. ये स्टार ज्यूपिटर जितने बड़े ग्रह Gliese 832b और एक पृथ्वी जितने बड़े ग्रह Gliese 832c की परिक्रमा कर रहा है.

पृथ्वी जैसे एक नए ग्रह की तलाश के मद्देनज़र ये महत्वपूर्ण शुरुआत है. Gliese 832b और Gliese 832c को रेडियल वेलोसिटी तकनीक की मदद से खोजा गया है. ये तकनीक सेंट्रल स्टार की रफ़्तार में होने वाले बदलावों को सामने लाती है. 

इस यूनिवर्सिटी में फ़िजिक्स रिसर्चर सुमन सात्याल के मुताबिक, इस ग्रह का घन पृथ्वी की तुलना में 15 गुना ज़्यादा हो सकता है. ऐसी संभावना है कि ये सितारा पिछले 1 अरब सालों से स्थायी तौर पर अपनी कक्षा में परिक्रमा कर रहा हो. हालांकि दुनिया अभी तक प्रकाश की गति जितना तेज़ कोई भी यंत्र बना नहीं पाई है लेकिन अगर ऐसा होता है तो यूनिवर्स के कई और सोलर सिस्टम में जीवन की संभावना को तलाशने का प्रतिशत काफी बढ़ सकता है.  

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