जानिए जस्टिस बी.वी. नागरत्ना से जुड़ी ये 7 बातें, बन सकती हैं देश की पहली महिला CJI

Abhay Sinha

भारत को अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश मिल सकती है. चीफ़ जस्टिस एनवी रमना के नेतृत्व में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति के लिए जिन 9 न्यायाधीशों के नामों की सिफ़ारिश की है, उसमें जस्टिस बी.वी. नागरत्ना का भी नाम है. ऐसे में साल 2027 में जस्टिस नागरत्नना के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला चीफ़ जस्टिस बनने के कयास लगाए जा रहे हैं. 

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कौन हैं जस्टिस बी.वी. नागरत्ना?

– 30 अक्टूबर 1962 को जन्मी जस्टिस नागरत्ना ने बेंगलुरु में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.

– जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं. उनके पिता साल 1989 में लगभग छह महीने के लिए CJI थे.

– फ़रवरी 2008 में इन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट में एक एडिशनल न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. इसके दो साल बाद यानि 2010 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया.

मुश्किल हालातों का भी डटकर सामना करती हैं

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– साल 2009 में जस्टिस नागरत्ना के नाम से लोग वाकिफ़ हुए थे. उस समय वकीलों के एक समूह ने जस्टिस नागरत्ना के साथ कर्नाटक हाईकोर्ट के दो अन्य न्यायाधीशों को एक कमरे में बंद कर दिया था. उस वक़्त भी न्यायमूर्ति नागरत्ना ने गरिमापूर्ण तरीके से इस स्थिति का सामना किया. उन्होंने एक सार्वजनिक बयान देते हुए कहा, ‘हमें इस तरह से नहीं दबाया जा सकता है. हमने संविधान की शपथ ली है.’ साथ ही उन्होंने कहा था कि वो नाराज़ नहीं हैं, लेकिन न्यायाधीशों के साथ हुए व्यवहार से दुखी हैं क्योंकि इस घटना से हमें सिर झुकाना पड़ा है.

जस्टिस नागरत्ना के महत्वपूर्ण फ़ैसले

– साल 2012 में जस्टिस नागरत्ना ने फ़ेक न्यूज़ को देखते हुए इलेक्ट्रोनिक मीडिया को रेगुलेट करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था. उन्होंने ख़बरों को सनसनीख़ेज़ बनाए जाने पर अंकुश लगाने की बात कही थी. अपने फ़ैसले में कहा कि किसी भी चैनल को सिर्फ़ सही सूचना देनी चाहिए.

– साल 2019 में उन्होंने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि मंदिर के कर्मचारी ग्रेचुटी भुगतान अधिनियम के तहत ग्रेचुटी के हकदार नहीं हैं. क्योंकि मंदिर कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं है. उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों को कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम के तहत ग्रेचुटी लाभ मिलेगा. लेकिन ये ग्रेचुटी भुगतान अधिनियम के तहत नहीं होगा. बल्कि ये राज्य में अधिनियमि के तहत एक विशेष क़ानून है.

– साल 2017 में अगर जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की पहली मुख्य न्यायाधीश बनती हैं, तो उनका कार्यकाल क़रीब एक महीने से ज़्यादा का होगा.

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