मुंबई के गणपति बने इको-फ्रे़ंडली, विसर्जित करने की बजाए मूर्ती को बनायें पौधा

Akanksha Tiwari

‘गणेश चतुर्थी’. इस उत्सव का नाम सुनते ही सबसे पहले ज़हन में मुंबई शहर की छवि आती है. ये मुंबई वालों का गणपति बप्पा से ख़ास कनेक्शन जो है. इस शहर के लोगों के लिए ये उत्सव ठीक वैसे ही है, जैसे देश के बाकी लोगों के लिए दीपावली.

thehindu

हमेशा की तरह इस बार भी मुंबई में गणेश चतुर्थी की तैयारियां ज़ोरो-शोरों से शुरू हो चुकी हैं. पर ये गणेश उत्सव हर साल से थोड़ा अलग होगा, क्योंकि करीगर इसे इको फ़्रेंडली बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इसके चलते पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे. रिपोर्ट के अनुसार, दत्ताद्री कोठुर नाम के एक कारीगर ने भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति बनाई है, जो इको फ्रे़ंडली चिकनी मिट्टी से बनी है.

Hinduismnow

कमाल की बात ये है कि इन मूर्तियों में पेड़ के बीच मौजूद हैं, जिन्हें उगाया जा सकता है. 

अपने इस अनोखे काम के बारे में बात करते हुए दत्ताद्री ने बताया कि ‘विसर्ज़न वाले दिन आप मूर्ति को बालकनी या बगीचे में रखें. इसके बाद इस पर ठीक उसी तरह पानी डालिए, जैसे पौधों पर डालते हैं और वो मूर्ति से मिट्टी में परिवर्तित हो जाएगी. करीब से 4 से 10 दिन के बीच आपको वो एक पौधे के रूप में नज़र आएगी.’

वहीं रोहित वस्ते नामक कारीगर गणेश भगवान की पेपर से बनी मूर्तियां बना रहे हैं, जिन्हें आसानी से रीसाइकिल किया जा सकता है.

हर साल गणेश विसर्ज़न के दौरान मुंबई के समुद्र में कई लाख टन कचरा जमा होता है, जो कि जीव-जन्तु समेत हम इंसानों के लिए ख़तरे की निशानी है. ऐसे में कारीगरों की ये पहल काफ़ी सराहनीय है. चलो इस बात पर एक बार ज़ोर से बोल दो ‘गणपति बप्पा मोरया’

Source : NDTV

Feature Image Souce : Thehealthsite

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे