6 महीनों में 40 बार हुआ रिजेक्ट, कड़ी मशक्कतों के बावजूद नहीं मिल रही नौकरी, नाम है सद्दाम हुसैन

Vishu

विलियम शेक्सपियर ने कहा था – नाम में क्या रखा है?

दुनिया भर में लोगों ने इस वाक्य को अपने-अपने तरीके से जिया है. रचनात्मक जगत से जुड़े कुछ लोगों ने जहां अपने पैशन की ख़ातिर नाम को छोड़ दिया, वहीं कई लोग ऐसे भी थे, जो नाम के लिए मर-मिट जाने को तैयार थे. लेकिन नाम की ये कहानी केवल प्राइड और विचारधारा तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि कुछ लोगों के लिए यही नाम एक त्रासदी भी साबित हुआ.

जमशेदपुर में रहने वाले सद्दाम हुसैन तमिलनाडु के नुरुल इस्लाम यूनिवर्सिटी से पास आउट हैं. वे 2014 में मरीन इंजीनियर बने थे. लेकिन अपनी क्लास में फ़र्स्ट डिविज़न से पास होने और सेकेंड आने के बाद भी वे एक भी नौकरी पाने में नाकाम रहे.

Freemalaysiatoday

25 साल के सद्दाम को अपने नाम की वजह से नौकरी मिलने में दिक्कतें आ रहीं थी. कई प्रयासों के बावजूद किसी भी मल्टीनेशनल शिपिंग कंपनी ने उन्हें नौकरी पर नहीं रखा.

हुसैन ने जब कंपनियों के एचआर डिपार्टमेंट से इस बारे में बात की, तो उन्हें पता चला कि इस नाम का कोई भी क्रू सदस्य रखने से बेवजह ही लोगों का शक़ बना रहता है. ये किसी भी शिपिंग कंपनी के लिए अच्छा नहीं है और कोई भी संदिग्ध नाम Operational Nightmare साबित हो सकता है. 

हुसैन ने बताया कि उसके दादा ने उनका नाम यह सोच कर रखा था कि उनका पोता बड़ा होकर एक सकारात्मक और अच्छा इंसान बनेगा. लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं सोचा था, कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन के साथ ये नाम शेयर करने की वजह से उनके पोते को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

Indian Express

गौरतलब है कि 2003 में अमेरिका ने सद्दाम हुसैन का तख्तापलट कर दिया था और 2006 में इस इराकी तानाशाह को फांसी दे दी गई थी.

नाम तो बदला पर अपनी किस्मत न बदल पाया.

कुछ समय पहले सद्दाम ने अपने नाम को आधिकारिक तौर पर बदलवा लिया था. सद्दाम हुसैन अब साजिद हुसैन बन चुका था. लेकिन नौकरी के लिए जब भी उसे अपने जरूरी दस्तावेजों की जरूरत पड़ती, तो मुश्किलें फिर खड़ी हो जाती. दरअसल हुसैन के पासपोर्ट, वोटर आईडी, 10वीं और 12वीं के सर्टीफिकेट्स में उसका नाम अब भी सद्दाम हुसैन ही था और ऐसे में समस्या जस की तस बनी हुई थी.

हुसैन ने अपनी इस समस्या के लिए सीबीएसई के सामने गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है. थक-हारकर अब सद्दाम ने झारखंड हाई कोर्ट की ओर रुख किया है. उसने कोर्ट के सामने दलील पेश की है कि सीबीएसई उसे नए नामों के दस्तावेज़ उपलब्ध कराए. केस की अगली सुनवाई 5 मई को है. उम्मीद है कि कोर्ट हुसैन को राहत देने में कामयाब होगी.

Source: Hindustan Times 

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे