220 साल बाद ब्रिटेन के एक आम से घर के तहखाने में मिली टीपू सुल्तान की आइकॉनिक तलवार और बन्दूक

Dhirendra Kumar

एक ब्रिटिश परिवार को हाल ही में अपने घर के तहख़ाने में टीपू सुल्तान से जुड़ी कुछ अमूल्य चीज़ें मिली हैं. उनके पूर्वज, मेजर थॉमस हार्ट, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में एक सेना अधिकारी थे, जो 1798-99 में लड़े गए चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध के बाद कुछ कलाकृतियां अपने घर ले आए थे.  

जो मूल्यवान चीज़ें परिवार को तहख़ाने में मिली, वो वास्तव में टीपू सुल्तान के शस्त्रागार से लायी गयी थी.

1799 में सेरिंगपटम में मैसूर के टाइगर, टीपू सुल्तान की हार के बाद, मेजर थॉमस हार्ट ये चीज़ें अपने देश ले आये थे. अब ये धरोहर इस महीने के अंत में एक नीलामी में जा रही है.

ये चीज़ें पीढ़ी दर पीढ़ी इसी परिवार में रहीं और अब ये इस परिवार लिए अच्छी-ख़ासी रकम ला सकती हैं.

ये उन चीजों की सूची है, जो उन्हें मिली:


टीपू सुल्तान की बाघ की धारी वाली बंदूक, जिसके बारे में कहा जाता है कि सेरिंगपटम में अपनी आखिरी लड़ाई के दौरान उन्होंने इसका उपयोग किया था.

उनके पिता हैदर अली खान की सोने से बनी तलवार.

एक सोने की सुपारी रखने वाली सन्दूकषी, जिसमे 3 सुपारी अभी भी हैं.

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एंटनी क्रिब लिमिटेड, जो पुराने हथियारों को बेचने मामले में ख़ासी विशेषज्ञता रखता है, के नीलामीकर्ता एंथोनी क्रिब ने कहा, 

‘ये एक बहुत ही रोमांचक खोज है, जो बर्कशायर के एक साधारण से घर में 220 साल के बाद मिली है.’

उन्होंने कहा,

‘परिवार पैसे से प्रेरित नहीं है और ईमानदारी से उम्मीद करता है कि ये सामान भारत वापस चला जाएगा. शायद किसी संग्रहालय में और भविष्य की पीढ़ियों के लिए उपलब्ध होगा.’  

खोज की “विशेष” प्रकृति होने के कारण, किसी भी कीमत के अनुमान के बिना इसे नीलामी के लिए रखा जाएगा.


एंथोनी क्रिब ने कहा कि उनके लिए किसी भी वस्तु की कीमत लगाना असंभव था और वह बाजार और खरीदारों को क़ीमत के बारे में निर्णय लेने देंगे.

इस बारे में तब ख़ुलासा हुआ जब इस साल जनवरी में दंपति ने अपने तहख़ाने में मिली एक तलवार के बारे में एंथनी क्रिब लिमिटेड से संपर्क किया.  

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मूल्यांकन के बाद, तलवार पर पाए गए सोने से बने “हैदर” प्रतीक चिन्ह ने पुष्टि की कि तलवार हैदर अली खान – टीपू सुल्तान के पिता की थी. इसी तरह के सोने के निशान वाली तीन अन्य तलवारें एक संगीन और बंदूक के साथ मिलीं.

बंदूक निश्चित रूप से हाइलाइट है क्योंकि यह न केवल टीपू सुल्तान के शस्त्रागार का प्रतीक है, बल्कि युद्ध में इस्तेमाल भी की जा चुकी है. एक संभवना ये भी है कि ये बंदूक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों के खिलाफ़ एंग्लो-मैसूर लड़ाई में इस्तेमाल की थी.

जटिल डिज़ाइन वाली सुपारी रखने वाली सन्दूकषी, टीपू सुल्तान की ढाल और साथ ही मेजर थॉमस हार्ट की ईस्ट इंडिया कंपनी की सील वाली सोने की अंगूठी भी नीलाम होगी.  

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