वाह! ट्रिपल तलाक़ को न बोलने वाले पांचों जज थे पांच अलग धर्म और सम्प्रदाय से

Sumit Gaur

पिछले कई महीनों से विवाद और सुर्ख़ियों में रहने के बाद आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ के मुद्दे पर आज सुबह अपना फ़ैसला सुना दिया. पांच जजों की बेंच वाली इस समिति की अध्यक्षता चीफ़ जस्टिस जेएस खेहर कर रहे थे.

अपने फ़ैसले में बेंच ने तीन तलाक़ को असंवैधानिक माना है और इस पर 6 महीने की रोक लगा दी है. इसी के साथ बेंच ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो इस रोक लगाने के लिए संसद में कानून बनाये.

सुप्रीम कोर्ट की इस संसदीय बेंच में सभी जज अलग-अलग धर्मों से आते हैं. जस्टिस कुरियन जोसेफ, ईसाई धर्म से आते हैं. 

जस्टिस आरएफ़ नरीमन, पारसी समुदाय से आते हैं.

जस्टिस यूयू ललित, हिन्दू धर्म को मानने वाले हैं.

अब्दुल नज़ीर, मुस्लिम धर्म को मानने वाले हैं. 

इसके अलावा बेंच की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर सिख समुदाय से आते हैं. 

फ़ैसला आने से पहले पांच जजों वाली सदस्यीय बेंच में से तीन जजों ने तीन तलाक़ को असंवैधानिक माना, जबकि दो जज ने इसके पक्ष में अपना मत दिया था.

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