भीषण गर्मी में पंक्षियों की जान बचाने के लिए बेंगलुरु के दो शख़्स सालों से कर रहे हैं कड़ी मेहनत

Rashi Sharma

दिन पर दिन बढ़ती गर्मी से इस वक़्त भारत का हर व्यक्ति परेशान है. होली के बाद से गर्मी अचानक से बढ़ गई थी और अब हालात ये है कि अप्रैल महीने की शुरुआत में ही गर्मी ने अपना भीषण रूप दिखा दिया है. कई शहरों का तापमान तो 40 डिग्री से भी ऊपर पहुंच गया है. इतनी गर्मी में जब हम इंसानों की हालात खराब हो जाती है और हम घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहते हैं, तो ज़रा सोचिये कि इतनी भीषण गर्मी में पशु-पक्षियों की क्या हालात होती होगी. हम तो घर में AC मैं बैठकर रहत की सांस ले भी लेते हैं, लेकिन इन बेज़ुबानों के पास तो वो विकल्प भी नहीं है.

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इतनी गर्मी में ये बेचारे बेज़ुबान पानी के लिए भी तरस जाते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि तेज़ धुप और गर्म हवाओं के कारण हर साल सैकड़ों पशु-पक्षी अपनी जान गंवा देते हैं. शायद ही कोई इनके बारे में सोचता है और इनके लिए कुछ करता है, पर ऐसा नहीं है कि सब ऐसा ही करते हैं, कुछ लोग अलग हटकर होते हैं और वो इन बेजुबानों के बारे में सोचते हैं. ऐसे ही दो शख्स हैं Basavaraju और Srinivas, जो पर्यावरण से प्यार करते हैं. ये दोनों बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (IISc) में काम करते हैं.

इस इंस्टिट्यूट में पंछियों को संरक्षण देने के साथ ही उनके पीने के लिए पानी की व्यवस्था भी की गई है. यहां पर इस भीषण गर्मी से निपटने के लिए सीमेंट से निर्मित पोखरों में पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था कर रखी है. इन पोखरों में पानी भरने का काम Basavaraju और Srinivas करते हैं. आपको बता दें कि उन्होंने इस काम की शुरुआत सात साल पहले की थी, जो आज तक जारी है.

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एक अंग्रेजी वेबसाइट Bangalore Mirror से बात करते हुए इन दोनों ने बताया कि ये लोग ऐसा पिछले 15 सालों से करते आ रहे हैं और इस बार भी कुछ अलग नहीं है. इस साल गर्मी की शुरुआत ही 37 डिग्री से ज़्यादा तापमान के साथ हुई है. ऐसे में ये दोनों पक्षियों की रक्षा करने के इस सन्देश को पूरे देश में फ़ैलाना चाहते हैं, ताकि उन पक्षियों की जान बचाई जा सके, जो प्यास के कारण मर जाते हैं.

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Bangalore Mirror को दिए इंटरव्यू में इन इंस्टिट्यूट के पूर्व कर्मचारी Basavaraju का कहना है कि हम अपने इस काम से संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन सुबह वो संस्थान में बने मैदान में बैडमिंटन खेल रहे थे, तब उन्होंने वहां पानी की तलाश में आये पंक्षियों के एक झुंड को देखा और तभी उन्होंने यह निश्चय किया कि वो इनके लिए कुछ करेंगे.

उन्होंने कहा,’पक्षियों के लिए भी पानी बहुत ज़्यादा ज़रूरी है. हमने इसके लिए नेचुरल तरीके से पोखर बनाई और हर रोज सुबह उस पोखर में पानी भर देते थे. धीरे-धीरे यह आम हो गया और अब सैकड़ों पंक्षी पानी की तलाश में यहां आते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं. वहीं श्रीनिवास का कहना है कि हम इस पोखर की देखभाल करते हैं. हर तीन दिन में इसे साफ़ किया जाता है और इसमें ताजा और साफ़ पानी भरा जाता है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जब भी हम यहां नहीं होते हैं, तब इसकी जिम्मेदारी पास के स्वीमिंग पूल की साफ़-सफ़ाई करने वाले लड़कों की होती है.’

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Basavaraju बताते हैं कि यहां पर पानी पीने के लिए 10 से ज़्यादा प्रजाति के पक्षी आते हैं, जिनमें गोल्डन ओरियल, स्केल मुनिआ, बुलबुल, ओरिएंटल व्हाइट आई और सेवन सिस्टर्स के साथ-साथ बाज और कबूतर भी आते हैं. सर्दियों में हर दिन यहां आने वाले पंछियों की संख्या 30-40 होती है, वहीं गर्मियों में ये संख्या इसकी तुलना में काफ़ी अधिक हो जाती है.

Basavaraju और Srinivas से हम लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए. हम भी इन पंछियों के लिए अपने स्टार पर ये तो कर ही सकते हैं कि अपनेघर की छत या बालकनी में किसी मिट्टी के बर्तन पर रोज़ पानी रख दें और हो सके तो चुगने के लिए दाना भी.

Feature Image Source: indiatimes

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