हमारे सामज में गरीबी से बड़ी सज़ा शायद कोई नहीं होती. एक रोटी का सपना भी उन्हें महंगा लगता है. इससे बड़ा दर्द कोई नहीं सह सकता. लेकिन उस वक़्त ये तकलीफ़ और बढ़ जाती है, जब इस मजबूरी की वजह से गरीब लोग अपनों को भी बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
ओडिशा में एक दम्पति को अपने नवजात बच्चे को बेचना पड़ा, कारण था वो लोग हॉस्पिटल का बिल भरने में नाकाम थे.
निराकार मोहराना अपनी पत्नि को भर्ती करने सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन डिलीवरी में कुछ समस्या होने के कारण उन्हें किसी निजी अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है, जहां उनके तीसरे बच्चे की डिलीवरी होती है.
डिलीवरी के बाद हॉस्पिटल उस गरीब को 7500 रुपये का बिल देता है. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं होते, जब वो पैसे नहीं दे पाते, तो उनके बच्चे को 12 हज़ार में खरीदने की बात आशा नाम की एक वर्कर करती है. उस बच्चे को खरीद लिया जाता है और पैसे काट कर बचे पैसे उन्हें दे दिए जाते हैं.
जब वो इस घटना को गांव पहुंच कर लोगों को बताते हैं, तब गांव वाले उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह देते हैं. पुलिस FIR लॉन्च करती है और आशा वर्कर को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है. पूछताछ के दौरान आशा वर्कर ने बताया कि इस दम्पति के पहले से दो बेटियां है और तीसरी जब बेटी हुई, तो उन्ही लोगों ने उसे बेचने की बात कही थी.
अब कौन सच बोल रहा है ये तो पुलिस जांच के बाद पता चलेगा. लेकिन जो भी हो, सच कोई भी बोल रहा हो, कारण दोनों में सिर्फ़ इनकी गरीबी ही है.