पत्नी के इलाज के लिए बेटे को बेचने जा रहे शख़्स को यूपी पुलिस ने न सिर्फ़ रोका, बल्कि पैसे भी दिए

Rashi Sharma

कहने को तो हम आधुनिक भारत का हिस्सा हैं, पर आज भी पैसों की तंगी या किसी मज़बूरी के कारण किसी को अगर अपने बच्चे का सौदा करना पड़ रहा है, तो ये हमारे लिए बेहद शर्मनाक है. जी हां, उत्तरप्रदेश राज्य के कन्नौज से एक ऐसा ही दर्दनाक मामला सामने आया है. जहां अपनी गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए एक शख़्स को अपने बेटे को बेचने जैसा कठिन फ़ैसला लेना पड़ा गया.

ये घटना सौरिख एरिया के बरेठी दारापुर गांव की है. पुलिस के अनुसार, इस गांव में रहने वाले अरविंद बंजारा की पत्नी सुखदेवी गर्भवती हैं. अरविंद और सुखदेवी को 4 साल की बेटी और एक साल का बेटा है. बीते बुधवार अचानक ही अरविन्द की पत्नी सुखदेवी के पेट में दर्द होने लगा, और वो तुरंत ही अपनी पत्नी को जिला अस्पताल लेकर गया, जहां डॉक्टर ने सुखदेवी के शरीर में खून की कमी बताई. वहीं अरविन्द ने ये भी बताया कि हॉस्पिटल की नर्स ने उनकी पत्नी को एडमिट करने के लिए 25,000 रुपये मांगे थे.

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मगर अरविन्द के पास इतने पैसे नहीं थे इसलिए वो पत्नी को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचा. मगर वहां पर भी सुखदेवी की गंभीर हालत देखते डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने से मना कर दिया. अरविन्द ने पैसों के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से भी मदद मांगी. लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नही की. जब कहीं से भी पैसों का इंतज़ाम नहीं हो पाया तो मजबूरीवश उनको अपने 1 साल के बेटे को बेचने का निर्णय लेना पड़ा. और वो मेडिकल कॉलेज के बाहर अपने चहेते से बेटे को लेकर खड़ा हो गया.

मेडिकल कॉलेज के बाहर एक कपल बच्चे को खरीदने के लिए तैयार हो गया और बच्चे के लिए 25,000 रुपये देने को तैयार हो गया, मगर अरविंद ने 40000 रुपयों की मांग की. और आखिर में 30000 रुपये में डील फाइनल हो गई. उसके बाद वो कपल पैसे लाने के लिए चला गया. पर जब वो कपल पैसे लेकर जा ही रहा था, तब उस महिला को बच्चे का सौदा करना ठीक नहीं लगा और उसने बच्चा न खरीदने का फैसला किया और इस बात की जानकारी पुलिस को दी.

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इसी बीच आसपास के लोगों को बच्चा बेचे जाने की ख़बर भी हो गई. इस जानकारी के मिलते ही मेडिकल कॉलेज चौकी इंचार्ज बृजेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे. उन्होंने अरविंद और सुखदेवी से पूछताछ की. दोनों ने गरीबी के कारण बच्चे को बेचने की मजबूरी बताई. इसे सुनकर बृजेंद्र कुमार सन्न रह गए. उन्होंने आश्वासन दिया कि सुखदेवी के इलाज में आने वाला सारा खर्च वो खुद उठाएंगे. इसके बाद पीड़िता को उन्होंने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया.

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